आत्माराम नाम का खेतिहर मजदूर - दयनीय आर्थिक हालत - गाँव में एक साधु का आना - आत्माराम का साधु से कमाई का उपाय पूछना - साधु का मिट्टी देना – उससे खिलौने बनाने के लिए कहना - आत्माराम को अच्छी आय - कागज से भी अनेक वस्त बनाना - अच्छी कमाई होना।
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आत्माराम नाम का एक खेतिहर मजदूर था | वह दुसरे किसानो के या सावकारो के खेतों मे जाकर दिनभर. मेहनत का काम करके अपना और अपने बिवी बच्चों का गुजारा करता था |
पर इतनी मेहनत करके भी उसकी आथिर्क हालत बहुत खराब थी ,क्योकी उसको कोई हररोज काम नही मिलता था | जिस दिन उसे काम नही मिलता उस दिन उसके घर मे चुल्हा नही जलता धा | और उनको खाली पेट सोना पडता था |
एक दिन उसके गाव मे एक साधु महाराज आए | साधु महाराज बहुत ही ज्ञानी थे | उनके मुखपर तेज था | उस दिन आत्माराम को कुछ भी काम नही मिला था | वह काम की तलाश मे घुमकर थक गया था | अपनी थकान मिटाने के लिए वह एक घने पेड की छाॅव मे बैठ गया और सोचने लगा की आज घर मे खाना नही पकेगा, रात मे मेरे बच्चे भुक से बिलखकर रोएगे तो मे उन्हे क्या खिलाऊॅगा ? और वो रोने लगा
साधु महाराज उधरसे गुजर रहे थे | उन्होने आत्माराम के रोने की आवाज सुनी और वे आत्माराम के पास रूक गये | उन्होने उसके रोने का कारण पुछा | आत्माराम ने अपनी आथिर्क हालत के बारे मे साधु महाराज को बताई और कमाई बढने का कोई उपाय बताने कि दरख्वास की |
साधु महाराज ने बाजू मे पडी लाल मिट्टि जमा की और आत्माराम के हाथ मे थमाई और बोले इस मिट्टी के खिलौने बना और बजार जाके बेच | आत्माराम ने घर आकर उस मिट्टी के बहुत सारी अच्छे अच्छे खिलौने बनाए और बजार बेचने गया | उस दिन उसको उन मिट्टी के खिलौने बेचकर अच्छी कमाई मिली और वह खुशी खुशी घर लौटा |
उसके बाद वह हररोज मिट्टी के खिलौने बनाता था और बेचने के लिए बजार जाता था |अब वह मिट्टी के खिलौने के साथ कागज के कई प्रकार के वस्तु बनाकर बेचने के लिए रखता था | इस प्रकार अब उसकी अच्छी कमाई होने लगी और आराम से रेहने लगा
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