आत्मचिंतन मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
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आत्म चिंतन का शाब्दिक अर्थ होता है स्वयं का अध्ययन करना. यह एक बड़ा विस्तृत शब्द है जिनके विभिन्न अर्थ लिए जा सकते हैं. हिन्दू संस्कृति इसे एक नियम माना हैं. आत्म चिंतन का अर्थ होता हैं खुद अध्ययन करना.
हिंदी के दो शब्द आत्म चिंतन और आत्म अवलोकन ये बेहद नजदीक अर्थ वाले शब्द हैं जिनमें व्यक्ति अपनी पुरानी गलतियों से सीख तथा अपने अच्छे कर्मों को और अधिक बेहतर तरीके से करने का प्रयास करता हैं. अक्सर लोग अधिकतर चीजे बाहरी वातावरण अथवा लोगों से हम अधिक चीजे सीखते हैं.
आत्मचिंतन के विषय में महात्मा बुद्ध कहते है कि मनुष्य आत्म चिंतन से जितना अधिक सीख सकता है उतना किसी बाहरी स्रोत से नहीं. इसलिए स्वयं दीपक बनों की बात हमेशा कही जाती हैं. अर्थात आत्म चिंतन तथा बुद्धि से स्वयं को प्रकाशमान बनाएं.
हम अपना मन इतना साफ़ एवं पवित्र बनाए जिससे किसी को भी बुरा न लगे और न ही किसी को ठेस पहुंचे. मनुष्य को अपने आत्मीय चिंतन की क्षमा का पूर्ण उपभोग करके जीवन को अधिक बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. कोई भी कार्य करने से पूर्व आत्मचिंतन से उनके सभी पहलुओं को अवश्य समझे. इस तरह हम आत्मचिंतन की शक्ति का अधिकतम लाभ उठाकर अपने जीवन को और अधिक सफल और खुशहाल बना सकते हैं.
अक्सर देखा गया है जो लोग आत्म चिंतन की प्रवृत्ति के होते है वे अपने अवगुणों को कम कर देते हैं यथा क्रोध व लालच पर काबू पा सकते हैं. स्वयं के भीतर झाँकने से हम अपनी बुराइयों को दूर नहीं तो सही उनकी पहचान तो कई सकते हैं हम अपनी कमजोरियों व कमियों को पहचान सकते हैं इसलिए हमारे जीवन में आत्मचिंतन करना बेहद जरुरी
Ans:
आत्मचिंतन हमें अच्छा जीवन प्रदान करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
- अक्सर देखा जाता है लोग आत्मचिंतन के प्रवृत्ति के होते हैं वे अपने अवगुणों को कम कर देते हैं। यथा क्रोध व लालच पर काबू पा सकते हैं।
- आत्मचिंतन या स्वंय के भीतर झांकने से हम अपनी बुराइयों को दूर नहीं तो सही उनकी पहचान तो कर ही सकते हैं।
- आत्मचिंतन से हम अपनी कमियों और कमजोरियों को पहचान सकते हैं ।
इसलिए हमारे जीवन में आत्मचिंतन करना बहुत महत्वपूर्ण है।
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