आत्महत्या एक कायरता पर निबंध padi
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आत्महत्या को कायरता से जोड़ देने का प्रचलन भी पुराना है, यह निबंध भी इस प्रचलन के पक्ष में है, लेकिन आत्महत्या को कायरता मानते हुए भी, यह कहना जरूरी है कि उन मन:स्थितियों को समझना जिनमें कोई व्यक्ति खुद को खत्म कर लेने से जैसा कदम उठाता है, प्रवचनकारों और मुझ जैसे निबंध-लेखकों के बूते का नहीं है.
बहरहाल, बूते में यह कहना जरूर है कि आत्महत्या अंतत: एक व्यर्थता के लिए की जाती है. वह मुक्ति से ज्यादा विस्मृति के लिए की जाती है और यह उसकी सामर्थ्य है कि वह तमाम धूल खा रहे उद्धरणों, कविताओं, प्रवचनों और मुझ जैसे निबंधकारों को सक्रिय कर देती है.
यह सक्रियता आत्महत्या के इरादों की हत्या कर सकती है, यह शुभ-इच्छा अपनी जगह है, लेकिन इससे यह तो जाहिर होता ही है कि आत्महत्या के इरादों का अपना एक नेपथ्य (ग्रीनरूम) होता है, जिसमें मौजूद आत्महत्यारा यह मान कर चलता है कि आत्महत्या की आलोचना एक गैर-जरूरी चीज है और इसने अब तक केवल उन्हें ही फायदा पहुंचाया है जिन्होंने अब तक आत्महत्या नहीं की.