आत्मलनर्भर bharat par nibhand
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आत्मनिर्भर भारत बनने का तात्पर्य है कि हमारे देश को हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। भारत को देश मे ही हर वस्तु का निर्माण करना होगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि भारत के संसाधनों से बनी वस्तुओं को भारत मे ही उपयोग मे लाना है। ... आत्मनिर्भर भारत से हमारे देश मे उद्योगों की संख्या मे वृद्धि होगी।
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आत्मनिर्भर भारत पर निबंध
आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति समाज और राष्ट्र का स्वपन होता है। हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी कहा है। कि एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है। दूसरों से उधार लेकर काम चलाने में नहीं।
आत्मनिर्भर राष्ट्र ही अपने राष्ट्र को सर्वोपरि बना सकता है। क्योंकि जो राष्ट्र आत्मनिर्भर होता है। अपने पैरों पर खड़ा खड़ा होता है। वही अपने आप में सबसे अच्छा होता है।
उदाहरण के तौर पर मैंने एक चीज लिखिए जिससे आपका जो ऐसे है। वह बहुत अच्छा लगेगा यदि बैसाखी के सहारे चलने वाले व्यक्ति की बैसाखी छीन ली जाए तो वह चलने में असमर्थ हो जाता है। ठीक उसी प्रकार यही स्थिति दूसरों पर निर्भर रहने वाले राष्ट्र की हो जाती है।
दोस्तों यदि हम किसी भी सामान के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहते है और किसी कारणवश वह सामान हमारे यहां नहीं आ पाता तो हमारी स्थिति बहुत जर्जर हो जाती है। लेकिन अगर वही सामान हमारे राष्ट्र में डेवलप हो रहा है। तो हमें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।
वर्तमान समय में यदि हम इतिहास के पृष्ठों को पलट कर देखें। तब जब तक भारत परतंत्र था, यह अपने विकास के लिए अंग्रेजों पर निर्भर था। लोग चाहकर भी अपना और देश का विकास नहीं कर सकते थे।
किंतु स्वतंत्रता के उपरांत भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ और आज स्थिति यह है। कि यह विश्व में कोहिनूर की भांति चमकता आ रहा है। या चमकता है। आज देखिए भारत स्तर पर अपने जो संसाधन है। जो हमारे राष्ट्र में ही निर्मित है। तो उसमें कहीं हद तक अपनी पहचान बना चुका है।
If you want you can even skip some paragraphs as ur wish..
I hope this helps you!!
आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति समाज और राष्ट्र का स्वपन होता है। हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी कहा है। कि एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है। दूसरों से उधार लेकर काम चलाने में नहीं।
आत्मनिर्भर राष्ट्र ही अपने राष्ट्र को सर्वोपरि बना सकता है। क्योंकि जो राष्ट्र आत्मनिर्भर होता है। अपने पैरों पर खड़ा खड़ा होता है। वही अपने आप में सबसे अच्छा होता है।
उदाहरण के तौर पर मैंने एक चीज लिखिए जिससे आपका जो ऐसे है। वह बहुत अच्छा लगेगा यदि बैसाखी के सहारे चलने वाले व्यक्ति की बैसाखी छीन ली जाए तो वह चलने में असमर्थ हो जाता है। ठीक उसी प्रकार यही स्थिति दूसरों पर निर्भर रहने वाले राष्ट्र की हो जाती है।
दोस्तों यदि हम किसी भी सामान के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहते है और किसी कारणवश वह सामान हमारे यहां नहीं आ पाता तो हमारी स्थिति बहुत जर्जर हो जाती है। लेकिन अगर वही सामान हमारे राष्ट्र में डेवलप हो रहा है। तो हमें कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।
वर्तमान समय में यदि हम इतिहास के पृष्ठों को पलट कर देखें। तब जब तक भारत परतंत्र था, यह अपने विकास के लिए अंग्रेजों पर निर्भर था। लोग चाहकर भी अपना और देश का विकास नहीं कर सकते थे।
किंतु स्वतंत्रता के उपरांत भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हुआ और आज स्थिति यह है। कि यह विश्व में कोहिनूर की भांति चमकता आ रहा है। या चमकता है। आज देखिए भारत स्तर पर अपने जो संसाधन है। जो हमारे राष्ट्र में ही निर्मित है। तो उसमें कहीं हद तक अपनी पहचान बना चुका है।
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