आत्मनिर्भर भारत लक्ष्य से कितने दूर कितने पास पर 5 पेज का निबंध हिंदी में
Answers
Answer:
कितने दूर कितने पास 2002 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
कितने दूर कितने पास
चित्र:कितने दूर कितने पास.jpg
कितने दूर कितने पास का पोस्टर
अभिनेता
फ़रदीन ख़ान,
अयूब ख़ान,
अमृता अरोरा,
सोनाली कुलकर्णी,
सतीश शाह
प्रदर्शन तिथि(याँ)
2002
देश
भारत
भाषा
हिन्दी
Answer:
if it is helpful then mark as brainlist
आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ, सभी पर बल दिया गया है। ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोल उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार हैं। ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामथ्र्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित है। कल से शुरू करके, आने वाले कुछ दिनों तक, वित्त मंत्री द्वारा ‘आत्मर्निर भारत अभियान’ से प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी। संकट के समय में, लोकल ने ही हमें बचाया है। समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको आज जो ग्लोबल ब्रांड्स लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल लोकल थे। आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।
मैं गर्व के साथ एक बात महसूस करता हूं, याद करता हूं। जब मैंने आपसे, देश के खादी खरीदने का आग्रह किया था। आप देखिए, बहुत ही कम समय में खादी और हैंडलूम, दोनों की ही डिमांड और बिक्री रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। हमारे यहां कहा गया है, ‘सर्वम् आत्म वंश सुखम्’ अर्थात जो हमारे वश में है, जो हमारे नियंत्रण में है वही सुख है। आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है। 21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। हम भारत को आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। हम भारत को आत्मनिर्भर बनाकर रहेंगे। आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री ने पांच बातों को पांच स्तंभ बताते हुए उन के विशेष महत्व को भी समझाया।
यह स्तंभ है- • इकोनॉमी: जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं, बल्कि क्वांटम जम्प लगाए। • इंफ्रास्ट्रक्चर: जो आधुनिक भारत की पहचान बने। बड़ा बदलाव कराए। • सिस्टम: जो बीती शताब्दी का नहीं, 21वीं की टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। • डेमोग्राफी: सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में वायब्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है। • डिमांड: हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन के चक्र और ताकत को पूरी क्षमता से इस्तेमाल करना जरूरी है। डिमांड बढ़ाने और इसे पूरा करने के लिए सप्लाई चेन के हर स्टेक होल्डर का सशक्त होना जरूरी है। अतीत में जाएं तो पायेंगे कि स्वदेशी के सिद्धांत को समझाते हुए महात्मा गांधी ने कहा था ‘अगर हम स्वदेशी के सिद्धांत का पालन करें, तो हमारा और आपका यह कत्र्तव्य होगा कि हम उन बेरोजगार पड़ोसियों को ढूंढे, जो हमारी आवश्यकता की वस्तुएं, हमें दे सकते हों और यदि वे इन वस्तुओं को बनाना न जानते हों तो उन्हें उसकी प्रक्रिया सिखायें। ऐसा हो तो भारत का हर एक गांव लगभग एक स्वाश्रयी और स्वयंपूर्ण इकाई बन जाए।