आत्मनिर्भर का योग क्या है bussines study class 11
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ज़रूरत है कि अपनी सोच बदले. आत्मनिर्भर भारत के लिए ज़रूरी है कि सोच पहले आत्मनिर्भर हो. हम पहले अपनी सोच-विचार के लिए आत्मनिर्भर हो, तब भारत आत्मनिर्भर ज़रुर हो जाएगा.कोरोना की मार से भारत को निजात दिला अर्थव्यवस्था को फिर धुरी पर जमाने के उद्देश्य से प्रधान मंत्री मोदी ने गत सप्ताह बीस लाख करोड़ के स्टिमुलस पैकेज का ऐलान कर दिया. देखने में बीस लाख करोड़ का आंकड़ा भारत के लिए ऐतिहासिक तो है ही, यह अपने आप में तकरीबन डेढ़ सौ देशों के जीडीपी से ज्यादा है. राहत पैकेज की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सप्ताह भर प्रेस-कॉन्फ़्रेंस बुला आत्मनिर्भर भारत नाम के इस पैकेज का खुलासा करती देखी गईं. कृषि क्षेत्र, कोरोना पीड़ित छोटे और मँझले उद्योग, देश भर में आनन फानन में भागते श्रमिक — आखिर सब के लिए क्या राहत की पेश-कश की गयी?
जो लोग राहत पैकेज को अप्रत्याशित करार देते हैं उनको यह नहीं भूलना चाहिए कि वास्तव में यह घटना ही अप्रत्याशित है. ऐसे अकाल काल में राहत पैकेज के शून्य के अंकों की संख्या गिनने का कोई मतलब नहीं रह जाता है. आवश्यकता होती है में इसके परिणाम के आंकलन की. कई सारे लोग इस पैकेज से नाखुश नजर आए — खासकर वे जिनको उम्मीद थी की 20 लाख करोड़ की रकम सरकार अपने खज़ाने से वहन करेगी. वास्तव में ऐसा हुआ नहीं. पैकेज का बहुत सारा हिस्सा ऋण के रूप में देने की योजना है. सरकार बैंकों को ऋण वापसी की गारंटी देगी. कुछ क्षेत्रों में ब्याज दर में 2 प्रतिशत का भार स्वयं वहन करेगी. ऋण की रकम सरकार नहीं बैंक से जाएगी. सरकार पर ऋण वापस नहीं कर पाने की दशा में कम से कम एक साल के अंतराल के बाद बिगड़ गए ऋणों का बोझ आयेगा. हिसाब करने बैठे एक्स्पर्ट्स ने यह पाया कि इस 20 लाख करोड़ में से पहले ही दस लाख करोड़ का एलान हो चुका था. और कई घोषणाएँ तो मात्र टेक्स रिफ़ंड और सरकारी संस्थाओं के पास लंबित देनदारियों देर सबेर निपटाए जाने मात्र के बारे थीं. नितिन गडकरी जी का ख़ुद मानना है कि चार-साढ़े चार लाख करोड़ तो ख़ुद यही पैसा है जो कि उन्हीं का पैसा.
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