आत्मनिर्भरता का आधार क्या है? आत्मनिर्भर व्यक्ति में कौन-कौन से गुण परिलक्षित होत hai
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आत्मनिर्भरता का अर्थ होता है, अपने किसी भी काम लिए दूसरों पर निर्भर न होना। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने काम के लिए स्वयं के परिश्रम को महत्व देता है और बेहिचक अपने विचारों को प्रकट करता है। साथ ही वो अपने फैसले खुद ही लेना पसंद करता है। देखा जाए तो आत्मनिर्भरता व्यक्ति को जीवन में सही से चलना सिखाती है।
बात जब आत्मनिर्भरता की हो रही है तो क्यों न हम प्रसन्नता के मामले मे भी आत्मनिर्भर बनने के बारे मे सोचें। शाब्दिक अर्थ के हिसाब से आत्मनिर्भरता का मतलब है- आत्मावलंबन, आत्मविश्वास अर्थात बिना किसी बाहरी सहायता के अपना जीवन अपने बूते जीना। किसी व्यक्ति को खुशी दो प्रकार से हासिल हो सकती है। एक तो भौतिक साधन-संसाधनों द्वारा, और दूसरी आध्यात्मिकता के जरिए प्राप्त आत्मिक शांति से। इनमें से पहली खुशी बाहरी साधनों पर निर्भर है, और दूसरी कुदरत द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से दिए गए आंतरिक साधनों द्वारा प्राप्त की जा सकती है। इसलिए जो कोई खुशी के मामले में आत्मनिर्भर होना चाहता है, उसे बाहरी सुख-सुविधाओं की बजाय अपने अंदर स्थित साधनों की ओर उन्मुख होना होगा। इसमें उसकी सहायता आध्यात्मिकता ही कर सकती है।