Hindi, asked by yadavumesh6222, 1 month ago

आत्मपरिचय मैं का जग-जीवन भार लिए फिरता हूँ, फिर भी भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ; कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ! sandrbh prasang vayakhya

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Answered by sujalkushwaha10
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Answer:

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,

फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;

कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर

मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!

मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,

मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ,

जग पूछ रहा है उनको, जो जग की गाते,

मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!

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