आत्मपरिचय और पंगत क्या है
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कवि कहता है-मैं व्यस्त हूँ, मस्त हूँ। ढेर सारा भोजन खाता हूँ, मेरा वजन सत्तर सेर है। यहाँ खूब कूद-फाँद करता हूँ। दुखों को दूर धकेल देता हूँ। मैं मजे में हूँ, आप लोग मेरे लिए शोक मत कीजिए।
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