'आत्मत्राण' किस विधा की रचना है?
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'आत्मत्राण' किस विधा की रचना है ?
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- आत्मत्राण कविता महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई थी। यह कविता बांग्ला में लिखी गई थी।
- इस कविता का हिंदी में अनुवाद आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के द्वारा किया गया था।
- इस कविता में कवी कहतें हैं के भगवान् उन्ही की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता खुद करने की कोशिश करते हैं।
- जो हर प्रकार की मुसीबतों का सामना करते हुए भी अपने कर्तव्यों का पालन करना नहीं छोड़ते उन्ही को जीवन के संघर्ष में विजय प्राप्त होती है।
- अगर आप चाहते हैं की आप बिना कुछ किये या बिना संघर्ष किये भगवान् आपकी मुशीबतों को दूर कर दे तो खुद भगवान् भी आपके लिए कुछ नहीं करेंगे।
- यदि आप चाहते हैं के बिना कुछ मेहनत किये आपको कोई दुःख ना मिले तो भगवान् भी आपकी मदद नहीं करेंगे।
- आपको भगवान् पर भरोसा रखते हुए अपनी मुशीबतों से खुद ही लड़ना पड़ेगा संघर्ष करना पड़ेगा तो ही भगवान् आपकी मदद करेंगे।
- आप आपने हालातों से खुद लड़ोगे तभी भगवान् आपको आत्मबल, ताकत और शक्ति प्रदान करेंगे।
- इस भगवान् द्वारा दी गई शक्ति से आप तमाम मुसीबतों का सामना कर के अंत में विजय प्राप्त करोगे और मुसीबतों के आगे अपने घुटने नहीं टेकोगे।
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आत्मत्राण किस विधा की रचना है
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