आत्मत्राण कविता में कवि की प्रार्थना सबसे भिन्न क्यों है?
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kyo ki kavi apne aap problems ka samna kar apne jeevan aage badaana chahtha hein.kayi log eeshwar se sangarsh-heen ka prarthana kartha hein par kavi eeshwar se is sangarsh se aage badne ka himmath mangtha hein.
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प्रत्येक व्यक्ति जीवन के संघर्षों में छुटकारा चाहता है परंतु इस कविता में कवि किसी भी प्रकार की सहायता की इच्छा नहीं करता, उसकी कामना केवल निर्भय, स्वस्थ व अविजित होने की है| वह ईश्वर को दु:ख की हर घडी में भी याद करना चाहता है, वह सदैव आत्मविश्वास, धैर्य, शक्ति, पुरूषार्थ व हिम्मत बनाए रखने व निर्भय होकर जीवन जीने की प्रार्थना करते है|
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