आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन है दुविधा, क्योंकि दुविधा एकाग्रता को नष्ट
कर देती है। आदमी की शांति को बाँट देती है। बस वह आधा इधर और आधा
उधर, इस तरह खंडित हो जाता है। मेरे एक मित्र अपनी पत्नी के साथ जंगल में
एक पेड़ के नीचे बैठे बात कर रहे थे। बात करते-करते पत्नी सो गई, वह
उपन्यास पढ़ने लगे। अचानक उन्हें लगा कि सामने से भेड़िया चला आ रहा है
उन्हीं की तरफ। भेड़िया, एक खूखार जानवर; वह इतने घबरा गए कि पत्नी को
सोता छोड़कर वहाँ से भाग खड़े हुए। भाग्य से, कुछ दूर ही उन्हें एक बंदूकधारी
सज्जन मिल गए। वह उनके पैरों पर गिर पड़े, "मेरी पत्नी को बचाइए, भेड़िया
उसे खा रहा है, वह गिड़गिड़ाए। शिकारी दौड़ा-दौड़ा उनके साथ पेड़ के पास आया,
तो उनकी पत्नी यथापूर्व सो रही थी और 'भेड़िया उनके पास रखी टोकरी में मुँह
डाले पूरियाँ खा रहा था। कहाँ है भेड़िया?" शिकारी ने बंदूक साधते हुए पूछा, तो
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आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन है दुविधा, क्योंकि दुविधा एकाग्रता को नष्ट
कर देती है। आदमी की शांति को बाँट देती है। बस वह आधा इधर और आधा
उधर, इस तरह खंडित हो जाता है। मेरे एक मित्र अपनी पत्नी के साथ जंगल में
एक पेड़ के नीचे बैठे बात कर रहे थे। बात करते-करते पत्नी सो गई, वह
उपन्यास पढ़ने लगे। अचानक उन्हें लगा कि सामने से भेड़िया चला आ रहा है
उन्हीं की तरफ। भेड़िया, एक खूखार जानवर; वह इतने घबरा गए कि पत्नी को
सोता छोड़कर वहाँ से भाग खड़े हुए। भाग्य से, कुछ दूर ही उन्हें एक बंदूकधारी
सज्जन मिल गए। वह उनके पैरों पर गिर पड़े, "मेरी पत्नी को बचाइए, भेड़िया
उसे खा रहा है, वह गिड़गिड़ाए। शिकारी दौड़ा-दौड़ा उनके साथ पेड़ के पास आया,
तो उनकी पत्नी यथापूर्व सो रही थी और 'भेड़िया उनके पास रखी टोकरी में मुँह
डाले पूरियाँ खा रहा था। कहाँ है भेड़िया?" शिकारी ने बंदूक साधते हुए पूछा, तो