आतंरिक समस्याओ से जूझता हमारा देश पर एक फीचर
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जिसका धरना उसकी भैंस (कसौटी, 31 अगस्त) पढ़ते बांचते बरबस यह अहसास हुआ- धरना और बंद राष्ट्रीय आपदाएं हैं। इनका लोककंटककारी रूप अब असह्य हो चला है। कोसी सी असंयमित ममता इतनी निर्मम और निस्संग हो सकती है कि एक साथ नैनो को लील जाएं, ट्रक चालकों के याचक भाव को निर्भाव होकर देखें और हठी बनी रहें? लेकिन सत्य ही है- मंडल से शुरू हुआ धरनों, प्रदर्शनों, आत्म-उत्पीड़न, आत्मदाह का यह सिलसिला आगे क्या कराएगा इसका कोई निश्चय नहीं। आत्मघाती राजनीति मानव बम न हो जाए अब यही डर लगता है। मृणाल जी ने गांधी जी के मार्फत जो कहा है, खुलकर कहा है- गांधी अपनों के लिए फूल रहे राष्ट्रीय उल्लास रहे। ये करात, ये मुलायम लालू-पासवान तो राष्ट्रीय शूल बने सिम्मी तक की तरफदारी कर रहे हैं और ममता निवेशरोधी बन गई हैं माकपाई आशीष से। वीरन्द्र शर्मा, पंडारा रोड, नई दिल्ली चुनाव आयोग से एक उम्मीदवार एक ही जगह से चुनाव लड़े और वो स्थानीय हो, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। राजनीतिक पार्टियां अभी देश में कुल से अधिक हैं और यह हाार भी हो जाएंगी। यदि पंजीकरण कराने के लिए शर्त नहीं रखी गई तो साथ ही पंजीकरण करने व रद्द करने का भी प्रावधान करं। आपराधिक छवि वाले न लड़ें ऐसी व्यवस्था हो। राज, म. वि. बोधगया रेलमंत्री अपना वादा पूरा करं भारत सरकार के माननीय काबीना मंत्री श्री लालू प्रसाद जी का ध्यान आकृष्ट करते हुए स्मरण दिलाना चाहता हूं कि भागलपुर मंढारहिल रल खंड पर अवस्थित घौनी स्टेशन अंग्रेजी जमाने से ही बी ग्रेड का एक महत्वपूर्ण स्टेशन था। आज साधारण स्टेशन (सुविधाविहीन) के रूप में है। भागलपुर से बांका जाने के क्रम में श्रीमान ने बीस हाार जनता के समक्ष इस स्टेशन को बी श्रेणी स्टेशन का दर्जा, क्रासिंग सुविधा आदि देने का वादा किया था, लेकिन आज तक आपका वादा ज्यों का त्यों है। अत: आपसे अनुरोध है कि यथाशीघ्र उपरोक्त मांग को जनता के हित को देखते हुए पूरा करने की कृपा करं। विजय प्रसाद साह, बांका (बिहार) गांवों में बनें खेल स्टेडियम उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में खेल की सुविधाएं नहीं हैं। अनेक गांव अपने-अपने इलाके में खेल स्टेडियमों की मांग करते रहते हैं। सरकार के पास ऐसी अनेक मांगें काफी समय से विचाराधीन हैं। कई गांव जमीन उपलब्ध कराने को भी तैयार हैं। सरकार को ऐसे हर प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर कम से कम चार-चार, छह-छह गांवों के बीच एक-एक स्टेडियम बनवाने चाहिए। संजय नवानी, गवांणी, पौड़ी गढ़वाल.