Hindi, asked by asatyanarayanalic, 6 months ago

आती शब्द भेद क्या है?​

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Answered by hiraldubey5
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Explanation:

शब्द अकेले और कभी दूसरे शब्दों के साथ मिलकर अपना अर्थ प्रकट करते हैं।

इन्हें हम दो रूपों में पाते हैं – एक तो इनका अपना बिना मिलावट का रूप है, जिसे संस्कृत में प्रकृति या प्रातिपादिक कहते हैं और दूसरा वह, जो कारक, लिंग, वचन, पुरुष और काल बतानेवाले अंश को आगे-पीछे लगाकर बनाया जाता है, जिसे पद कहते हैं। यह वाक्य में दूसरे शब्दों से मिलकर अपना रूप झट सँवार लेता है।

शब्दों की रचना-

(1) ध्वनि और

(2) अर्थ के मेल से होता है।

एक या अधिक वर्णों से बनी स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं,

जैसे – लङकी, आ, मैं, धीरे, परंतु इत्यादि।

अतः शब्द मूलतः ध्वन्यात्मक होंगे या वर्णात्मक।

किंतु, व्याकरण में ध्वन्यात्मक शब्दों की अपेक्षा वर्णात्मक शब्दों का अधिक महत्त्व है। वर्णात्मक शब्दों में भी उन्हीं शब्दों का महत्त्व है, जो सार्थक है, जिनका अर्थ स्पष्ट और सुनिश्चित है। व्याकरण में निरर्थक शब्दों पर विचार नहीं होता।

सामान्यतः शब्द दो प्रकार के होते हैं – सार्थक और निरर्थक।

सार्थक शब्दों के अर्थ होते हैं और निरर्थक शब्दों के अर्थ नहीं होते।

जैसे-’पानी’ सार्थक शब्द है और ’नीपा’ निरर्थक शब्द, क्योंकि इसका कोई अर्थ नहीं।

भाषा की परिवर्तनशील उसकी स्वाभाविक क्रिया है। समय के साथ संसार की सभी भाषाओं के रूप बदलते हैं। हिंदी इस नियम का अपवाद नहीं है। संस्कृत के अनेक शब्द पालि, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए हिंदी में आए है। इनमें कुछ शब्द तो ज्यों-के-ज्यों अपने मूलरूप में हैं और कुछ देश-काल के प्रभाव के कारण विकृत हो गए है।

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