English, asked by manjotk9992, 8 months ago

Aatam nirbhar Bharat -swantatar Bharat essay in Hindi 800words

Answers

Answered by ajrawat2525
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Answer:

Recently, the Prime Minister has announced the ‘Atmanirbhar Bharat Abhiyan (or Self-reliant India Mission)’ with an economic stimulus package — worth Rs 20 lakh crores aimed towards achieving the mission.

The announced economic package is 10% of India’s Gross Domestic Product (GDP) in 2019-20.

The amount includes packages already announced at the beginning of the lockdown incorporating measures from the RBI and the payouts under the Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana.

The package is expected to focus on land, labour, liquidity and laws.

Self-Reliant India Mission

The Self-Reliant India Mission aims towards cutting down import dependence by focussing on substitution while improving safety compliance and quality goods to gain global market share.

The Self-Reliance neither signifies any exclusionary or isolationist strategies but involves creation of a helping hand to the whole world.

The Mission focuses on the importance of promoting “local” products.

The Mission will be carried out in two phases:

Phase 1: It will consider sectors like medical textiles, electronics, plastics and toys where local manufacturing and exports can be promoted.

Phase 2: It will consider products like gems and jewellery, pharma and steel, etc.

The Mission would be based on five pillars namely,

Economy

Infrastructure

System

Vibrant Demography

Demand

The Mission is also expected to complement ‘Make In India Initiative’ which intends to encourage manufacturing in India.

Analysis of Declared Economic Package

Inclusion of RBIs’ Expenditure in Fiscal Package:

The declared package is considered to be substantially less because it includes the actions of RBI as part of the government’s “fiscal” package, even though only the government controls the fiscal policy and not the RBI (which controls the ‘monetary’ policy).

Thus, the Government expenditure and RBI’s actions are neither the same nor can they be added in this manner. And thus nowhere in the world fiscal packages are declared in this manner.

For instance, when the US announced a relief package of $3 trillion (Rs 225 lakh crore), it only refers to the money that will be spent by the government — and does not include the expenditure of the Federal Reserve (US central bank).

Implication of Inclusion of RBIs’ Expenditure :

If the government is including RBI’s liquidity decisions in the calculation, then the actual fresh spending by the government could be considerably lower.

That’s because RBI has been coming out with Long Term Repo Operation (LTRO), to infuse liquidity into the banking system worth Rs 1 lakh crore at a time. If RBI launches another LTRO of Rs 1 lakh crore, then the overall fiscal help falls by the same amount.

The direct expenditure by a government usually includes wage subsidy or direct benefit transfer or payment of salaries, etc — immediately and necessarily stimulates the economy. In other words, that money necessarily reaches the people — either as through salary or purchase.

But measures from RBI include credit easing— that is, making more money available to the banks so that they can lend to the broader economy — is not like government expenditure.

In times of crisis, banks may take that money from RBI and, instead of lending it, may park it back with the RBI.

Recently, Indian banks have parked Rs 8.5 lakh crores with the central bank. So in terms of calculations, RBI has given a stimulus of Rs 6 lakh crore. But in reality, RBI has received an even bigger amount back from the banks.

Thus, the declared amount is 10% of GDP, but less than 5% cash outgo is expected

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Answered by talukdarheman1
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Explanation:

आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है, जिस कारण से हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है, ऐसे में अगर कोई भी देश खुद के जरुरतो के लिए अपने देश पर आत्म निर्भर बनना पड़ता है, तभी वह देश विश्व मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है तो चलिए भारत के प्रधानमन्त्री के द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में शुरू किया गया आत्म निर्भर भारत अभियान को प्रेरित करने वाले Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan Naare Slogan जानते है.

मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्म निर्भर और आत्म विश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-तंत्र होना चाहिए । असंयत स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों से घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध सा करता है ।

वह समाज में रहता है जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । वह एक हाथ से देता तथा दूसरे हाथ से लेता है । यह कथन एक सीमा तक उचित प्रतीत होता है । ऐसा गलत प्रमाणित तब होता है जब बदले में दिया कुछ नही जाता सिर्फ लिया भर जाता है और जब अधिकारों का उपभोग विश्व में बिना कृतज्ञता का निर्वाह किए, भिक्षावृत्ति तथा चोरी और लूट-खसोट में हो, लेकिन विनिमय न हो ।

फिर भी पूर्ण आत्म-निर्भरता असंभव सी है । जीवन में ऐसे सोपान आते हैं, जब आत्म विश्वास को जागृत किया जा सकता है । स्वभावतया हम दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर होते हैं । हम जरूरत से ज्यादा दूसरों की सहायता, सहानुभूति, हमदर्दी, नेकी पर विश्वास करते हैं, लेकिन यह आदत हानिकारक है । इससे हमारी शक्ति और आत्म उद्योगी भावना का ह्रास होता है । यह आदत हममें निज मदद हीनता की भावना भर देती है ।

यह हमारे नैतिक स्वभाव पर उसी प्रकार कुठाराघात करती है, जैसे किसी नव शिशु को गिरने के डर से चलने से मना करने पर कुछ समय पश्चात् अपंग हो जाता है । यदि इसी प्रकार हम दूसरों पर निर्भर न रहें तो नैतिक रूप से हम अपंग व विकृत हो जाते हैं ।

इसके अलावा दूसरों से काफी अपेक्षा रखना एक तरह से खुद को उपहास, दयनीय स्थिति, तिरस्कार व घृणा का पात्र बना लेने के बराबर है । इस स्थिति में लोग आश्रित और परजीवी बन जाते हैं । आत्म-शक्ति से परिपूर्ण व्यक्तियों के मध्य हमारी खुद की स्थिति दयनीय हो जाती है ।

विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारा अन्त करण हमें उत्तेजित करता है । अन्त में हम इस मानव जाति से घृणा व विरोध करने लगते हैं । ईर्ष्या हमारे जीवन में जहर भर देती हैं । इससे ज्यादा दयनीय स्थिति और कोई नही ।

इससे बिल्कुल विपरीत स्थिति आत्म-विश्वासी व्यक्ति की है । वह वीर और संकल्पी होता है । वह बाहरी सहायता पर विश्वास नही करता, बकवास में विश्वास नही रखता और बाधाओं, मुसीबतों से संघर्ष करता है तथा हर पग पर नए अनुभव प्राप्त करता है । वह चाहे सफल रहे या असफल उसे हमेशा दया, आदर और प्रशंसा का अभिप्राय माना जाता है ।

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