Aatamnirbhar Bharat savtantara bharat essay in hindi
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कोरोना महामारी के कारण हुए तीसरे लॉकडाउन की समाप्ति के पांच दिन पहले अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ का अभियान शुरू करते हुए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आर्थिक पैकेज आत्मनिर्भर अभियान की अहम कड़ी के रूप में कार्य करेगा। ये आर्थिक पैकेज, आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब-करीब 10 प्रतिशत है। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा।आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ, सभी पर बल दिया गया है। ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोल उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार हैं। ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। ये आर्थिक पैकेज भारतीय उद्योग जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक सामथ्र्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित है। कल से शुरू करके, आने वाले कुछ दिनों तक, वित्त मंत्री द्वारा ‘आत्मर्निर भारत अभियान’ से प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी। संकट के समय में, लोकल ने ही हमें बचाया है। समय ने हमें सिखाया है कि लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आपको आज जो ग्लोबल ब्रांड्स लगते हैं वो भी कभी ऐसे ही बिल्कुल लोकल थे। आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए वोकल बनना है, न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है
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निबंध 1:
आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत
किसी भी दृष्टि से आत्मनिर्भरता मानव का सबसे बड़ा गुण होती है और उसके लिए सबसे बड़ा सहारा बनती है। व्यक्ति यदि आत्म निर्भर होगा तो उसे दूसरों की मदद की जरूरत कम से कम पड़ेगी और किसी भी संकट की घड़ी में वह उसका सामना अधिक मजबूती से कर सकेगा और दूसरों पर आश्रित नहीं रहेगा। व्यक्ति हो या देश आत्मनिर्भरता सबके लिए एक उत्तम गुण है।
हमारा देश संसाधनों की दृष्टि से एक समृद्ध देश है और हमारा देश इतना सक्षम भी है कि हर वस्तु का उत्पादन स्वयं कर सकता है। बस इसके लिए इच्छाशक्ति और कार्यकुशलता चाहिए। हमारे देश में कार्य कुशल लोगों की कमी नहीं है। आत्मनिर्भरता से तात्पर्य है कि हमारा देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो, हर वस्तु सुई से लेकर हवाई जहाज तक हमारा देश स्वयं बना सके और हमें बाहरी देश पर निर्भर ना होना पड़े।
आत्मनिर्भरता के कई फायदे हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। हर वस्तु अपने देश में ही बनाने के कारण उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। अधिक से अधिक उद्योग लगते हैं, इसे रोजगार में वृद्धि होती है और बेरोजगारी दर कम होती है। देश का पैसा देश में ही रहने के कारण अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत होती जाती है। आयात की जगह निर्यात बढ़ता है, इससे विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता है। कोई भी मानवीय आपदा, प्राकृतिक आपदा या किसी भी तरह की आपदा का कोई भरोसा नहीं होता और यदि आपदा की स्थिति में किसी भी तरह के खाद्यान्न या जरूरी वस्तुओं की मांग होने पर हमें आत्मनिर्भर होने की स्थिति में किसी बाहरी देश पर सामान की आपूर्ति के लिए आश्रित नहीं होना पड़ेगा।
कोरोनावायरस महामारी के संकट ने हमारे देश को एक अवसर दे दिया है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें, ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक मजबूत हो और हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में हमें किसी भी देश पर आश्रित ना रहे।
हमने ये सिद्ध भी किया है कि हम यदि ठान ले तो पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकते हैं। जैसा कि अभी हम कोरोनावायरस के समय पीपीई किट और वेंटिलेटर आदि के उत्पादन में कर चुके हैं। हमारे देश में संभावनाओं की कमी नहीं है, बस उनका सही रूप से क्रियान्वन हो। कोरोना वायरस की महामारी से पहले हमारे देश में पीपीपी और वेंटिलेटर का उत्पादन बेहद कम होता था, लेकिन इस संकट के बाद हमने अपने घर में ही इन वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति लायक उत्पादन करना आरंभ कर दिया है। ये आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया हमारा पहला कदम है और एक सफल उदाहरण भी है।
किसी भी तरह की निर्भरता एक तरह की गुलामी ही है, क्योंकि हम जिस पर निर्भर होते है, उसके अनुसार कार्य करना होता है, उसकी शर्तों को मानना होता है। जो आत्मनिर्भर होता है, वो अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम होता है और पूरी तरह स्वतंत्र होता है। हमारा देश भी यदि पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनेगा तब ही वो सही मायने में स्वतंत्र कहलायेगा।
हम यदि मन में ठान ले तो जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकते हैं, इसलिए हम अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिलजुल कर जी जान से जुट जाएं।
निबंध 2:
आत्म निर्भर भारत स्वतंत्र भारत
आत्मनिर्भरता से यह तात्पर्य है कि हमारा देश आत्म निर्भर बने, उसे किसी और देश कि मदद लेने की कभी ज़रुरत ना परे| आत्मनिर्भरता एक मनुष्य को मजबूत बनाता है| मजबूती उस कोन से कि जब आपका कोई साथ देने वाला ना बचा हो तो आप स्वय अपनी मदद करने के लिए सक्षम हो|
देखा जाए तो एक देश अगर आत्म निर्भर हो गया तो उसे किसी और देश की ज़रुरत नहीं पड़ेगी| और अगर किसी देश की ज़रुरत नहीं परे तो वह देश बिना किसी रोक टोक के अपना काम कर सकता है, किसी और देश के पास फिर यह अधिकार नहीं की वह उस देश को सलाह दे या किसी काम के लिए रोके| इसका तात्पर्य यह है कि अगर कोई आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ता है तो साथ ही साथ वह स्वतंत्रता की तरफ भी अपना कदम रखता है|
आत्मनिर्भर होने के लिए दो मुख्य तत्व की ज़रुरत होती है, जिसमें से पहला तत्व है मेहनत और दूसरा तत्व है प्रतिभाशाली व्यक्ति, और देखा जाए तो हमारे देश में दोनों की कोई कमी नहीं| लेकिन कमी है तो उस प्रतिभा को पहचानने वालो की| भारत के लाखों लोग भारत को छोड़ बाहर देश चले जाते है क्यूंकि उन्हें लगता है भारत में उनकी प्रतिभा की कोई कदर नहीं होगी|
देखा जाए तो ऐसा कोई देश नहीं जहां भारत के निवासी ना हो| और वह निवासी हर तरह के लोग है| डॉक्टर से के कर इंजिनियर तक| वह निवासी भारत के लिए काम करने लगे तो भारत को किसी और देश की ज़रुरत नहीं पड़ेगी| लेकिन इसमें उन व्यक्तियों की भी कोई गलती नहीं है| क्योंकि हमारा देश कुछ कारणों से लोगो को मौका नहीं देता| और वह कारण बहुत ही शर्मिंदगी भरे है| और उनमें से एक कारण है आरक्षण|
लोगो को यह भरोसा नहीं की उनकी प्रतिभा को यहां सही सम्मान या सही काम मिल भी पाएगा| अगर यह भरोसा लोगो में जग जाए| तो हमारा देश पल भर में उचाईयो को छूने लगेगा| सोने की चिड़िया फिर से उड़ने लगेगी| बस कमी है भरोसे की और दूसरो की प्रतिभा को पहचानने की|
लेकिन इसमें भी कोई मुश्किल नहीं हमरा देश हमेशा से हर बाजी को जितने का दम रखते आया है| अगर यहां के निवासी यह ठान ले की हमे अपने देश को आत्म निर्भर बनाना है तो इसमें कोई मुश्किल नहीं आएगी| क्योंकि हमारा देश हर जगह से उपजाऊ है| हमारे देश में ऐसा कुछ नहीं जो ना मिलता हो| बस आवश्कता है उन प्रतिभा को सही राह देने की|
इस महामारी के वक्त में पी.अम. द्वारा आव्हान की गई है स्वदेशी अपनाओ| यह आवाहन देश की पुकार भी है| अगर हर व्यक्ति इस आवाहन को पथर की लकीर मान ले तो यह संभव है कि इस महामरी के अंत होते होते हमारा देश फिर खड़ा हो कर दूसरो के साथ आंख मिला कर बात कर सके|