Hindi, asked by kamleshawana, 11 months ago

aatankwad par anuched​

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Answered by abhinavmishra74358
13

Answer:

आतंकवाद पर अनुच्छेद | Paragraph on Terrorism in Hindi

आतंकवाद विश्व के लिए एक गम्भीर समस्या है । इस समस्या का वास्तविक व अंतिम समाधान अहिंसा द्वारा ही संभव है । देश के अंदर आतंकवाद असंतोष से उपजता है ।

यदि असंतोष का समाधान नहीं किया जाए तो वह विरफोटक होकर अनेक रूपों में फट जाता है और निरपारिधयों के प्राणों से उनकी प्यास नहीं बुझती । असहिष्णुता, अवांछित अनियंत्रित लिप्सा, अत्याधुनिक शस्त्रों की सुलभता आतंकवाद को जीवित रखे हुए है । पूर्वांचल का आतंकवाद व कश्मीर का आतंकवाद धर्मों के नाम पर विदेशों से धन व शस्त्र पाकर पुष्ट होता है ।

आतंकवाद से अभिप्राय अपने प्रभुत्व व शक्ति से जनता में भय की भावना का निर्माण करना तथा अपना उद्देश्य सिद्ध करने की नीति को ही आतंकवाद की संज्ञा दी जाती है । हमारा देश भारत सबसे अधिक आतंकवाद की चपेट में है । पिछले दस-बारह वर्षो मे हजारों निर्दोष लोग इसके शिकार हो बुइके हैं । अब तो जनता के साथ-साथ सरकार को भी आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है ।

भारत में आतंकवाद की शुरूआत बंगाल के उतरी छोर पर नक्सलवादियों ने की थी । 1967 में शुरू हुआ यह आतंकवाद तेलंगाना, श्रीकाकूलम मे नक्सलियों ने तेजी से फैलाया । 1975 में लगे आपातकाल के बाद नक्सलवाद खत्म हो गया ।

आतंकवाद के मन में सामान्यत: असंतोष एवं विद्रोह की भावनायें केन्द्रित रहती हैं । धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने के लिए आतंकवाद का प्रयोग एक हथियार के रूप में किया जाता है । तोड-फोड़, अपहरण, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या आदि करके अपनी बात मनवाना इसी में शामिल है ।

आज देश के कुछ स्वार्थी तत्वों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा देना आरम्भ कर दिया है इससे सांस्कृतिक टकराव, आर्थिक, विषमता, भ्रष्टाचार तथा भाषायी मतभेद का बढावा मिल रहा है । ये सभी तत्व आतंकवाद को पोषण करते है । पंजाब में खालिस्तान की मांग ने विकराल रूप धारण कर लिया । वहां पर 1980 में राजनीतिक सरगर्मियां इस मांग को लेकर तेज हो गयी थीं ।

आपातकाल के बाद पुन: पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भिण्डरवाला को शह दी । इस पर भिण्डरवाला ने वहां पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठायी उसे कुचल दिया । अनेक पत्रकार, पुलिस अफसर व सेना अधिकारी उसकी इस तानाशाही के शिकार हुए । वहां स्थिति बेकाबू हो गयी थी । अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर आतंकवादियों का गढ़ बन गया था । उस पर विजय पाने के लिए सैनिक बल का प्रयोग किया गया । बाद में भिण्डरवाला की तानाशाही का अन्त हो गया ।

ADVERTISEMENTS:

 

वर्तमान में कश्मीर समस्या आतंकवाद का कारण बनी हुई है । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर आतंकवादियों से सेना की मुठभेड़ आम बात हो गयी थी । अंतत: यह समस्या कारगिल युद्ध के रूप में सामने आई । आज वर्तमान में भी पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां जारी है ।

कथित पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों मे बम विरफोटों की घटनायें देखने को मिल रही हैं । भारतीय संसद पर हमला, गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर पर हमला, कश्मीर के रघुनाथ मन्दिर पर हमले की कार्यवाही आतंकवाद का जवलंत उदाहरण है ।

हमारा देश ही नहीं आतंकवाद से और भी कई राष्ट्र पीड़ित है । सन् 2001 में 11 सितम्बर लगभग 11 बजे विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिल लादेन ने विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को धराशायी कर दिया ।

इसके अलावा विश्व की सबसे सुरक्षित इमारत समझी जाने वाले पेन्टागन पर भी अपहृत विमान को गिरा दिया । घटना में हजारों लोग मारे गये । घटना के बाद कई माह तक अमेरिका ओसामा बिन लादेन को ढूंढता रहा लेकिन वह कामयाब न हो सका । यह अब तक की विश्व इतिहास में आतंकवाद की सबसे बडि घटना थी ।

इसी तरह 13 दिसम्बर, 2001 को 11 बजकर 40 मिनट पर भारत के संसद भवन पर भी आतंकवादियों ने हमला किया । इसमें हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पायी और संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई मुठभेड़ में हमले को अंजाम देने आये आतंकवादियों को मार गिराया गया ।

आतंकवादी ए.के. 47 राइफलों और ग्रेनेडों से लैस थे । ये उग्रवादी एक सफेद एम्बेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे । कार में भारी मात्रा में आर.डी.एक्स. था । संसद भवन में घुसते समय इन्होंने उपराष्ट्रपति के काफिले में शामिल एक कार को टक्कर मारी थी ।

सुरक्षाकर्मियों तथा आतंकवादियों के बीच करीब आधे घंटे तक गोलीबारी जारी रही । इस दौरान संसद भवन परिसर में दहशत और आतंक का माहौल था । यदि आतंकवादी अपने मकसद में सफल हो जाते तो कई केन्द्रीय मंत्रियो सहित सैकडों सांसदों को जान से हाथ धोना पड़ता ।

इस घटना की विश्व के अधिकांश देशों ने निन्दा की और आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया । अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर व पेन्टागन पर हुए आतंकवादी हमले ने आतंकवाद को अतराष्ट्रीय रूप दे दिया ।

आतंकवाद के नाम पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण करना आम बात हो गयी है । इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी स्तरों से प्रयास किये जाएँ ।

Explanation:


abhinavmishra74358: PLZ MARK
abhinavmishra74358: AS BRAINLIEST
Answered by divu296
8

Explanation:

समस्या का वास्तविक व अंतिम समाधान अहिंसा द्वारा ही संभव है । देश के अंदर आतंकवाद असंतोष से उपजता है ।

यदि असंतोष का समाधान नहीं किया जाए तो वह विरफोटक होकर अनेक रूपों में फट जाता है और निरपारिधयों के प्राणों से उनकी प्यास नहीं बुझती । असहिष्णुता, अवांछित अनियंत्रित लिप्सा, अत्याधुनिक शस्त्रों की सुलभता आतंकवाद को जीवित रखे हुए है । पूर्वांचल का आतंकवाद व कश्मीर का आतंकवाद धर्मों के नाम पर विदेशों से धन व शस्त्र पाकर पुष्ट होता है ।

आतंकवाद से अभिप्राय अपने प्रभुत्व व शक्ति से जनता में भय की भावना का निर्माण करना तथा अपना उद्देश्य सिद्ध करने की नीति को ही आतंकवाद की संज्ञा दी जाती है । हमारा देश भारत सबसे अधिक आतंकवाद की चपेट में है । पिछले दस-बारह वर्षो मे हजारों निर्दोष लोग इसके शिकार हो बुइके हैं । अब तो जनता के साथ-साथ सरकार को भी आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है ।

भारत में आतंकवाद की शुरूआत बंगाल के उतरी छोर पर नक्सलवादियों ने की थी । 1967 में शुरू हुआ यह आतंकवाद तेलंगाना, श्रीकाकूलम मे नक्सलियों ने तेजी से फैलाया । 1975 में लगे आपातकाल के बाद नक्सलवाद खत्म हो गया ।

आतंकवाद के मन में सामान्यत: असंतोष एवं विद्रोह की भावनायें केन्द्रित रहती हैं । धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने के लिए आतंकवाद का प्रयोग एक हथियार के रूप में किया जाता है । तोड-फोड़, अपहरण, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या आदि करके अपनी बात मनवाना इसी में शामिल है ।

आज देश के कुछ स्वार्थी तत्वों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा देना आरम्भ कर दिया है इससे सांस्कृतिक टकराव, आर्थिक, विषमता, भ्रष्टाचार तथा भाषायी मतभेद का बढावा मिल रहा है । ये सभी तत्व आतंकवाद को पोषण करते है । पंजाब में खालिस्तान की मांग ने विकराल रूप धारण कर लिया । वहां पर 1980 में राजनीतिक सरगर्मियां इस मांग को लेकर तेज हो गयी थीं ।

आपातकाल के बाद पुन: पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने भिण्डरवाला को शह दी । इस पर भिण्डरवाला ने वहां पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए जिसने भी उसके खिलाफ आवाज उठायी उसे कुचल दिया । अनेक पत्रकार, पुलिस अफसर व सेना अधिकारी उसकी इस तानाशाही के शिकार हुए । वहां स्थिति बेकाबू हो गयी थी । अमृतसर का स्वर्ण मन्दिर आतंकवादियों का गढ़ बन गया था । उस पर विजय पाने के लिए सैनिक बल का प्रयोग किया गया । बाद में भिण्डरवाला की तानाशाही का अन्त हो गया ।

वर्तमान में कश्मीर समस्या आतंकवाद का कारण बनी हुई है । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर आतंकवादियों से सेना की मुठभेड़ आम बात हो गयी थी । अंतत: यह समस्या कारगिल युद्ध के रूप में सामने आई । आज वर्तमान में भी पाकिस्तान की सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां जारी है ।

कथित पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों मे बम विरफोटों की घटनायें देखने को मिल रही हैं । भारतीय संसद पर हमला, गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर पर हमला, कश्मीर के रघुनाथ मन्दिर पर हमले की कार्यवाही आतंकवाद का जवलंत उदाहरण है ।

हमारा देश ही नहीं आतंकवाद से और भी कई राष्ट्र पीड़ित है । सन् 2001 में 11 सितम्बर लगभग 11 बजे विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिल लादेन ने विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को धराशायी कर दिया ।

इसके अलावा विश्व की सबसे सुरक्षित इमारत समझी जाने वाले पेन्टागन पर भी अपहृत विमान को गिरा दिया । घटना में हजारों लोग मारे गये । घटना के बाद कई माह तक अमेरिका ओसामा बिन लादेन को ढूंढता रहा लेकिन वह कामयाब न हो सका । यह अब तक की विश्व इतिहास में आतंकवाद की सबसे बडि घटना थी ।

इसी तरह 13 दिसम्बर, 2001 को 11 बजकर 40 मिनट पर भारत के संसद भवन पर भी आतंकवादियों ने हमला किया । इसमें हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पायी और संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई मुठभेड़ में हमले को अंजाम देने आये आतंकवादियों को मार गिराया गया ।

आतंकवादी ए.के. 47 राइफलों और ग्रेनेडों से लैस थे । ये उग्रवादी एक सफेद एम्बेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे । कार में भारी मात्रा में आर.डी.एक्स. था । संसद भवन में घुसते समय इन्होंने उपराष्ट्रपति के काफिले में शामिल एक कार को टक्कर मारी थी ।

सुरक्षाकर्मियों तथा आतंकवादियों के बीच करीब आधे घंटे तक गोलीबारी जारी रही । इस दौरान संसद भवन परिसर में दहशत और आतंक का माहौल था । यदि आतंकवादी अपने मकसद में सफल हो जाते तो कई केन्द्रीय मंत्रियो सहित सैकडों सांसदों को जान से हाथ धोना पड़ता ।

इस घटना की विश्व के अधिकांश देशों ने निन्दा की और आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया । अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर व पेन्टागन पर हुए आतंकवादी हमले ने आतंकवाद को अतराष्ट्रीय रूप दे दिया ।

आतंकवाद के नाम पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा एक दूसरे पर दोषारोपण करना आम बात हो गयी है । इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी स्तरों से प्रयास किये जाएँ ।

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