आदिकाल की प्रतिनिधि रचनाओं का उल्लेख करें
Answers
इस समय का साहित्य मुख्यतः चार रूपों में मिलता है :
सिद्ध-साहित्य तथा नाथ-साहित्य,
जैन साहित्य,
चारणी-साहित्य,
प्रकीर्णक साहित्य।
आदिकाल की प्रतिनिधि रचनाओं का उल्लेख
इस प्रकार है :-
• जैन साहित्य
- जैन धर्म को विख्यात करने के वजह से
जो साहित्य की रचना हुई उसे जैन
साहित्य का नाम दिया गया है ।
- कवि :- स्वयंभू , हेमचंद्र आदि
- रचना :- पउम-चरिउ , आदि
- भाषा :- प्राचीन राजस्थानी
• नाथ साहित्य
आराध्या - शिव
आधार - शैव दर्शन
- यह शिव के उपासक थे ।
- शुद्ध आचरण पर बल देते थे ।
आदि पुरुष - आदिनाथ
कवि - गोरखनाथ
रचना - गोरखबानी
भाषा - खड़ी बोली जिसमें पंजाबी,
राजस्थानी का पुट भी है ।
• सिद्ध साहित्य
-यह बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा से है ।
- यह पूर्वी भारत में सक्रिय थे ।
कवि - सरहपा
रचना - दोहाकोषगीति
• रासो साहित्य
रासो साहित्य की विशेषताएं :-
- युद्ध का सजीव वर्णन
- ऐतिहासिकता का अभाव
- वीर रस को मुख्य स्थान दिया
रचनाएं :-
- पृथ्वीराज रासो
- खुमाण रासो
- परमाल रासो
- बीसलदेव रासो , आदि।
कवि :-
- चंदबरदाई
- जगनिक , आदि ।
भाषा - पिंगल ( तत्कालीन राजस्थान का
ब्रजभाषा )
नोट:- चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो,
रासो काव्य में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता
है। पृथ्वीराज रासो हिंदी का प्रथम महाकाव्य
है । तथा चंदबरदाई हिंदी के प्रथम महाकाव्य
के लेखक है ।
• प्रकीर्णक साहित्य
कवि -
खुसरो , विद्यापति, अब्दुल रहमान
आदि ।
रचनाएं (भाषा) -
खुसरो की पहेलियां और मुकरियां ( खड़ी बोली), विद्यापति कि - पदावली( मैथिली)
गंगावाक्यावली ( संस्कृत )
किर्तिलता और कीर्तिपताका
( अपभ्रंश ) ।