आदिमानव पर निबंधहिंदी में छोटा
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हमारी पृथ्वी का उद्भव आज से करोड़ो वर्ष पूर्व हुआ ऐसा माना जाता हैं. पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर निरंतर शोध होते रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इस विषय पर गहन सर्च के बाद इस निर्णय पर पहुंचे कि आज के चालीस लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर मानव का उद्भव हुआ, जिन्हें हम आदिमानव के रूप में जानते हैं. उस समय के इन मानव को जीवन के रहन सहन खान पान का कोई विशिष्ट ज्ञान नहीं था.
आदिमानव का जीवन एक जंगली प्राणी की भांति था, उसे किसी प्रकार के संसाधन के उपयोग का ज्ञान नहीं था. वह न तो आग से परिचित था न ही कृषि आदि से. वह सुरक्षा के लिए झुण्ड बनाकर समूह में रहने लगा तथा एक साथ ही विचरण करते हुए भोजन की तलाश में जंगल में जाते तथा वन्य जीवों का आखेट कर जीवन का निर्वहन करते थे, यही उनकी आजीविका का मुख्य साधन था. वे अपने तन को सर्दी गर्मी तथा बरसात से बचाने के लिए ताड़ के पत्ते या जानवरों की खाल से ढकते थे, उन्हें कपड़े के सम्बन्ध में कोई ज्ञान नहीं था.
आदिमानव के विकास के प्रथम काल को पाषाणकाल कहा जाता हैं. इस काल में आदिमानव ने अपनी जरूरत की वस्तुओं को पत्थर से बनाया. उनके खाने पीने के बर्तन से लेकर हथियार तक पत्थर के हुआ करते थे. वे गुफाएं बनाकर रहते थे. उस काल के कुछ गुफाओं में स्थित शिलालेख भी मिले है जिससे उस समय के जीवन को समझने में सहायता मिलती हैं. पाषाणकाल में मानव ने अपनी जरूरत को पूरा करने के साधनों का निर्माण तो किया ही साथ ही उसने ठंड तथा जंगली जानवरों के आक्रमण से बचने के लिए गुफा के मुहाने पर आग जलाना भी शुरू कर दिया जिसमें में जानवरों को पकाकर भी खाने लगे.
मानव इतिहास की पहली खोज आग की मानी जाती हैं. आदिमानव ने पत्थरों के टकराने के बाद आग को जलाना सीखा, जिनसे स्वयं की जानवरों से सुरक्षा में मदद मिलने के साथ ही भोजन पकाने में भी काम आई. कालान्तर में इन्होने अपनी रक्षा तथा भोजन के प्रबंध की सुविधाओं के लिए कृषि कर्म तथा पहिये का आविष्कार कर दिया.
इस तरह आदिमानव का जीवन बेहद कठिनाइयों से भरा हुआ था. जीवन निर्वहन में सुविधा के कोई साधन नहीं थे. जीवन रक्षा के लिए उन्होंने सर्वप्रथम पत्थर के तथा बाद में ताबें के हथियारों का निर्माण किया. सम्भवतः आदिमानव द्वारा खोजी गई प्रथम धातु ताम्बा ही थी, जिससे उन्होंने अन्य जीवनउपयोगी यंत्रों का निर्माण किया जिनमें कृषि औजार भी शामिल थे.
आदिमानव अपने जीवन की सुरक्षा के कारण ही समूह में रहा करते थे. उनके जीवन का सबसे बड़ा खतरा जंगली जानवर ही थे. जिन्सें वे मिलकर बचाव किया करते थे. दुनिया के विभिन्न देशों में आदिमानव के जीवन से जुड़े अस्थि कंकाल प्राप्त हुए है जिससे उनकी आयु के बारे में अनुमान लगाने में सहायता मिली हैं.
मानव विकास की यात्रा का प्रारम्भिक बिंदु आदिमानव ही हैं. जिन्हें आज की जीवन शैली में असभ्य माना जाता हैं उनके जीवन का एक ही ध्येय रहता था अपने पेट का निर्वहन करना तथा जंगली जानवरों से बचाव करना, इस कारण वे समूह में रहने लगे. मानव का यही सामूहिक सुरक्षा का स्वभाव परिवार तथा समाज के रूप में देखने को मिलता हैं.
उस दौर का आदिमानव रहने के लिए घर बनाने की तकनीक से परिचित नहीं था, अतः उन्होंने पत्थरों को काट कर गुफाओं में रहना शुरू किया. कालान्तर में वह विभिन्न प्रकार के आवासों के निर्माण में दक्ष हुआ. निरंतर विकास के साथ ही साथ आदिमानव की आबादी में भी उत्तरोतर वृद्धि होती गई तथा कबीलाई समूहों का निर्माण हुआ, वह वस्त्रों का उपयोग करने लगा, अपने समस्त बर्तन एवं औजारों का निर्माण सीखा तथा पहिये के आविष्कार के बाद गाड़ी चलाना तथा पशुओं को पालने लगा.
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हमारी पृथ्वी का उद्भव आज से करोड़ो वर्ष पूर्व हुआ ऐसा माना जाता हैं. पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर निरंतर शोध होते रहे हैं. वैज्ञानिकों ने इस विषय पर गहन सर्च के बाद इस निर्णय पर पहुंचे कि आज के चालीस लाख वर्ष पूर्व पृथ्वी पर मानव का उद्भव हुआ, जिन्हें हम आदिमानव के रूप में जानते हैं. उस समय के इन मानव को जीवन के रहन सहन खान पान का कोई विशिष्ट ज्ञान नहीं था.
आदिमानव का जीवन एक जंगली प्राणी की भांति था, उसे किसी प्रकार के संसाधन के उपयोग का ज्ञान नहीं था. वह न तो आग से परिचित था न ही कृषि आदि से. वह सुरक्षा के लिए झुण्ड बनाकर समूह में रहने लगा तथा एक साथ ही विचरण करते हुए भोजन की तलाश में जंगल में जाते तथा वन्य जीवों का आखेट कर जीवन का निर्वहन करते थे, यही उनकी आजीविका का मुख्य साधन था. वे अपने तन को सर्दी गर्मी तथा बरसात से बचाने के लिए ताड़ के पत्ते या जानवरों की खाल से ढकते थे, उन्हें कपड़े के सम्बन्ध में कोई ज्ञान नहीं था.
आदिमानव के विकास के प्रथम काल को पाषाणकाल कहा जाता हैं. इस काल में आदिमानव ने अपनी जरूरत की वस्तुओं को पत्थर से बनाया. उनके खाने पीने के बर्तन से लेकर हथियार तक पत्थर के हुआ करते थे. वे गुफाएं बनाकर रहते थे. उस काल के कुछ गुफाओं में स्थित शिलालेख भी मिले है जिससे उस समय के जीवन को समझने में सहायता मिलती हैं. पाषाणकाल में मानव ने अपनी जरूरत को पूरा करने के साधनों का निर्माण तो किया ही साथ ही उसने ठंड तथा जंगली जानवरों के आक्रमण से बचने के लिए गुफा के मुहाने पर आग जलाना भी शुरू कर दिया जिसमें में जानवरों को पकाकर भी खाने लगे.