आदिवासियों के खान-पान, रहन-सहन पर टिप्पणी कीजिए।
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आदिवासियों का खानपान बहुत ही अलग तरीके का होता था क्योंकि सर्वप्रथम तो जब आदमी का आविष्कार नहीं हुआ था तब वह फल इत्यादि कई सारी चीजें बिना पकाए ही खाते थे।ऐसा भी माना जाता है कि यहां तक कि मांसाहारी होने के कारण वह जीव जंतुओं को मारकर उन्हें भी कच्चा ही खा जाते थे।उनके रहने सहने का रंग भी अलग था क्योंकि उस वक्त कपड़ों का आविष्कार भी नहीं हुआ था इसीलिए वह बिना कपड़े पहने ही घूमते थे। वह गुफाओं में रहा करते थे या फिर जंगलों में ही भटकते थे।लेकिन धीरे-धीरे जैसे ही अग्नि का आविष्कार हुआ उन्होंने पत्थरों से अलग-अलग प्रकार के हथियार बनाए तब उन में वृद्धि होने लगी और वह खाना भी पका कर खाने लगे और यहां तक कि रहने के लिए उन्होंने घर भी बनाएं पहनने के लिए सर्वप्रथम तो वह पत्तों के कपड़े बनाते थे उसके बाद में जीव जंतुओं को मारकर उनके चमड़े से कपड़े बनाकर पहनते थे और धीरे-धीरे वृद्धि होने के बाद वह कपड़ों से अपने शरीर को ढकने लगे और कुटिया में रहने लगे साथ ही फसल उगाने लगे