Hindi, asked by rinkyk602gmailcom, 9 months ago

१ आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।​

Answers

Answered by shishir303
8

इस संसार में अनेक तरह की प्रवृत्ति के आदमी पाये जाते हैं जिनका विवेचन प्रस्तुत है।

कुछ लोग ‘धार्मिक प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनका कार्य जीवन भर धर्म-अध्यात्म के कार्य करने करते रहना होता है। ऐसे लोग ईश्वर की भक्ति में ज्यादा लीन रहते हैं।

कुछ लोग ‘निंदक प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनका काम हर समय दूसरों की निंदा करना और दूसरों में कमियां निकालना होता है। इनका पूरा जीवन परनिंदा में चला जाता है, ऐसे लोग अपने जीवन में कुछ उल्लेखनीय प्रगति नही कर पाते।

कुछ लोग ‘चौर प्रवृत्ति’ के होते है जिनका काम दूसरों के धन और संपत्ति को चुरा लेना या लूट लेना होता है। इनकी निगाहें हमेशा दूसरों के धन को हड़पने पर लगी रहती हैं।

कुछ लोग ‘ईमानदार प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो हर कार्य नैतिकता के दायरे में रहकर और ईमानदारी से करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही तेजी से घटती जा रही है।

कुछ लोग ‘बेईमान प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो हर समय धोखे और छल-कपट से अपने कार्य को पूरा करने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों का आज के समय में वर्चस्व है।

कुछ लोग ‘स्वार्थी प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनको अपने स्वार्थ  के अलावा कुछ नही सूझता है, और जिनका मूलमंत्र होता है ‘अपना हित सर्वोपरि’। ऐसे लोगों की संख्या आज के समय में सर्वाधिक पायी जाती है।

कुछ लोग ‘परोपकारी प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो सदैव दूसरों का भला ही सोचते रहते हैं। ऐसे लोग आज के समय बहुत ही कम संख्या में पाये जाते हैं।

इस प्रकार इस संसार में अनेक तरह की प्रवृत्ति के आदमी पाये जाते हैं, जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।

Answered by shreyasyadav2610
1

Answer:

इस संसार में अनेक तरह की प्रवृत्ति के आदमी पाये जाते हैं जिनका विवेचन प्रस्तुत है।

कुछ लोग ‘धार्मिक प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनका कार्य जीवन भर धर्म-अध्यात्म के कार्य करने करते रहना होता है। ऐसे लोग ईश्वर की भक्ति में ज्यादा लीन रहते हैं।

कुछ लोग ‘निंदक प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनका काम हर समय दूसरों की निंदा करना और दूसरों में कमियां निकालना होता है। इनका पूरा जीवन परनिंदा में चला जाता है, ऐसे लोग अपने जीवन में कुछ उल्लेखनीय प्रगति नही कर पाते।

कुछ लोग ‘चौर प्रवृत्ति’ के होते है जिनका काम दूसरों के धन और संपत्ति को चुरा लेना या लूट लेना होता है। इनकी निगाहें हमेशा दूसरों के धन को हड़पने पर लगी रहती हैं।

कुछ लोग ‘ईमानदार प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो हर कार्य नैतिकता के दायरे में रहकर और ईमानदारी से करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही तेजी से घटती जा रही है।

कुछ लोग ‘बेईमान प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो हर समय धोखे और छल-कपट से अपने कार्य को पूरा करने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों का आज के समय में वर्चस्व है।

कुछ लोग ‘स्वार्थी प्रवृत्ति’ के होते हैं, जिनको अपने स्वार्थ  के अलावा कुछ नही सूझता है, और जिनका मूलमंत्र होता है ‘अपना हित सर्वोपरि’। ऐसे लोगों की संख्या आज के समय में सर्वाधिक पायी जाती है।

कुछ लोग ‘परोपकारी प्रवृत्ति’ के होते हैं, जो सदैव दूसरों का भला ही सोचते रहते हैं। ऐसे लोग आज के समय बहुत ही कम संख्या में पाये जाते हैं।

इस प्रकार इस संसार में अनेक तरह की प्रवृत्ति के आदमी पाये जाते हैं, जिनका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।

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