आदमी ने एक बनवाया महल था शानदार।
काँच अंदर की तरफ उसमें जड़े थे बेशुमार ॥
एक कुत्ता था फँसा उसमें अचानक एक बार।
देखते ही सैकड़ों कुत्ते, हुआ वह बेकरार ॥
वह समझता था, उसे वे घूरते हैं घेरकर।
क्योंकि सतत खुद था देखता, आँखें तरेर-तरेरकर ।
वह न था कमजोर दिल का, बल्कि रखता था दिमाग
छू गया जैसे किसी के फूस के घर में चिराग॥
वह उठा झुंझला, उधर भी सैकड़ों झुंझला उठे।
मुँह खुला उसका, उधर भी सैकड़ों मुँह बा उठे।
त्योरियाँ उसकी चढ़ीं, तो सैकड़ों की चढ़ गईं।
एक की गरदन बढ़ी तो सैकड़ों की बढ़ गईं।
मूंकने जब वह लगा, देने लगा गुंबद जवाब।
ठीक आमद-खर्च का मिलने लगा उसको हिसाब।
वह समझता ही रहा, सब दुश्मनों की कुचाल है।
पर नहीं वह जानता था, सब उसी का हाल है।
भुंकता ही वह रहा जब तक कि उसमें जान थी।
महल की दुनिया उसकी नकल पर हैरान थी॥
ठीक शीशे की तरह तुम देख लो संसार है।
नेक है वह नेक को, बद के लिए बदकार है।
तुम अगर सूरत बिगाड़ोगे, तो शीशे में वही।
देखनी तुमको पड़ेगी, बात है बिलकुल सही॥ . ka ssaransh bataiye
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Explanation:
ye kbita is duniya ki asliyat byan krti hai.Jis tarah kute ko sheesh mahal me apna hi paratiroop dikhayi pdta hai usi prakar insaan jesa dusro ke sth krta hai use besa hi phal yaa jwaab milta hai .Iss kabita me hm dekh skte hai ki kuta jo jo karya krta uski shavi bhi kary jwab me krti jo ki hona hi tha kyuki sheeshe me to bhi prati bhimb dikhta hai .kutta agr muh khole to use baki kutte jo ki uske hi pratibhimb the wo bi muh khole dikhayi pdrhe the ,usi prakar jb hm dusro ke sth acha byabhar kre to wo bykti v hmare sth acha bybhar krega,jb hm dusro ke sth kuch glt krege to srf wo bykti hi ni bgban b hme usi ka fal dega
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hamen sansar ko kiski taraf dekhna chahie aur kyon
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