Hindi, asked by singhdurgesh22, 3 months ago

आदर्श गाँव की क्या विशेषता होती है
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Answered by amishakmr8
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उत्तर-एक आदर्श ग्राम में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए—

(1) उन्नत कृषि व्यवस्था-कृषि के विकास हेतु छोटे खेतों को मिलाकर बड़े क्षेत्र बनाने चाहिए। सामूहिक कृषि का प्रयोग, जैविक तथा रासायनिक उर्वरक, कृषि के लिए उन्नत बीजों का उपयोग एवं सिंचाई की आधुनिक सुविधाओं का प्रयोग होना चाहिए। उपज भण्डारण हेतु उपयुक्त व्यवस्था, सहकारिता एवं शासकीय सहायता से उपज की बिक्री की व्यवस्था होनी चाहिए।

(2) आवासीय सुविधाएँ-गाँव में जानवरों से दूर मकान कच्चे या पक्के हों लेकिन साफ-सुथरे होने चाहिए। साथ ही घर में स्नानगृह, शौचालय आदि की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

(3) पेयजल व्यवस्था-स्वच्छ पेयजल के लिए कुएँ, तालाब, बाबड़ी आदि का जीर्णोद्धार होना चाहिए तथा इन्हें दूषित होने से बचाव होना चाहिए। गाँव में भूजल संवर्धन पर ध्यान केन्द्रित होना चाहिए।

(4) स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ-गाँव में प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र व चिकित्सक की व्यवस्था होनी चाहिए व आवश्यकतानुसार दवाइयों का प्रबन्ध भी होना चाहिए जिससे ग्रामवासियों की स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाइयों का गाँव स्तर पर ही उपचार हो सके।

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Q 86

सामाजिक-विज्ञान

प्रश्न 86. एक आदर्श ग्राम की विशेषताएँ क्या-क्या होती हैं ? लिखिए।

उत्तर-एक आदर्श ग्राम में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए—

(1) उन्नत कृषि व्यवस्था-कृषि के विकास हेतु छोटे खेतों को मिलाकर बड़े क्षेत्र बनाने चाहिए। सामूहिक कृषि का प्रयोग, जैविक तथा रासायनिक उर्वरक, कृषि के लिए उन्नत बीजों का उपयोग एवं सिंचाई की आधुनिक सुविधाओं का प्रयोग होना चाहिए। उपज भण्डारण हेतु उपयुक्त व्यवस्था, सहकारिता एवं शासकीय सहायता से उपज की बिक्री की व्यवस्था होनी चाहिए।

(2) आवासीय सुविधाएँ-गाँव में जानवरों से दूर मकान कच्चे या पक्के हों लेकिन साफ-सुथरे होने चाहिए। साथ ही घर में स्नानगृह, शौचालय आदि की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

(3) पेयजल व्यवस्था-स्वच्छ पेयजल के लिए कुएँ, तालाब, बाबड़ी आदि का जीर्णोद्धार होना चाहिए तथा इन्हें दूषित होने से बचाव होना चाहिए। गाँव में भूजल संवर्धन पर ध्यान केन्द्रित होना चाहिए।

(4) स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ-गाँव में प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र व चिकित्सक की व्यवस्था होनी चाहिए व आवश्यकतानुसार दवाइयों का प्रबन्ध भी होना चाहिए जिससे ग्रामवासियों की स्वास्थ्य सम्बन्धी कठिनाइयों का गाँव स्तर पर ही उपचार हो सके।

(5) शिक्षा व्यवस्था-गाँव में प्रत्येक बच्चे को शिक्षा देने के प्रयास होने चाहिए। ग्रामीणों में बालिका शिक्षा की ओर जागरूकता होनी चाहिए तथा प्रौढ़ शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिए।

(6) परिवहन सविधाएँ-गाँव में परिवहन की उचित व्यवस्था हेतु सड़कें होनी चाहिए जिससे गाँव आस-पास के गाँवों, कस्बों एवं जिला मुख्यालय से जुड़ सकें।

(7) संचार सुविधाएँ-गाँव में संचार साधनों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। टेलीफोन, डाकघर तथा इण्टरनेट सुविधाएँ आदि उपलब्ध होनी चाहिए।

(8) ऊर्जा एवं पर्यावरण जागरूकता- गाँवों में ऊर्जा हेतु बिजली की व्यवस्था होनी चाहिए। सम्भव हो तो वैकल्पिक ऊर्जा का भी प्रयोग किया जाय। ग्रामवासियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता होनी चाहिए।

(9) औद्योगिक विकास-गाँव में कृषि आधारित उद्योगों; जैसे-डेयरी उद्योग, कुक्कुट उद्योग आदि का विकास होना चाहिए। ग्राम में कुटीर उद्योगों का विकास हो सकता है।

(10) प्रशासनिक व्यवस्था-ग्राम पंचायत के सदस्य व सरपंच गाँव के विकास के प्रति जागरूक एवं सक्रिय होने चाहिए जिससे गाँवों में स्वच्छता, पेयजल, स्वास्थ्य, सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्थाएँ ग्रामवासियों को प्राप्त हो सकें। ग्राम पंचायत में प्रशासकीय पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए।

(11) वित्तीय सुविधा-आदर्श ग्राम में ग्रामीण बैंक व सहकारी बैंक आदि की सुविधा होनी चाहिए जिससे ग्रामवासियों को वित्तीय सुविधाएँ मिल सकें।

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