आधुनिक कहानी का उदय
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हिंदी में आधुनिक कहानी की शुरुआत 1900 में द्विवेदी युग से मानी जा सकती है। लेकिन 1918 के बाद प्रेमचंद के आगमन से हिंदी की आधुनिक कहानी को एक नया आयाम मिला। वैसे तो हिंदी में कथा-किस्से लिखने-सुनाने का इतिहास बहुत पुराना है और हितोपदेश की कथाएं, बेताल पच्चीसी की कथाएं, पंचतंत्र की कथाओं, रामायण-महाभारत की कथाओं के माध्यम से भारतीय समाज में नीति-नैतिकता और आदर्श की शिक्षाएं दी जाती रही है।
कहानी में आधुनिकता का समावेश पश्चिमी साहित्य के माध्यम से आया। हिंदी में आधुनिक कहानी के उद्भव और विकास में अंग्रेजी और बांग्ला साहित्य का विशेष योगदान रहा है। भारतीय युग से कहानी 1857 में कहानी की शुरुआत मानी जा सकती है, परंतु इनकी संख्या बहुत कम थी और यह हिंदी की मौलिक कहानियां नहीं मानी जाती है।
द्विवेदी युग के आरंभ से आधुनिक कहानी का आरंभ हो जाता है और इस काल में रामचंद्र शुक्ल जैसे साहित्यकारों ने कहानियां लिखने की शुरुआत। आधुनिक कहानी का वास्तविक समय प्रेमचंद के आने से शुरू होता है और आधुनिक कहानी के एक नया युग का सूत्रपात होता है। प्रेमचंद ने आम जन जीवन से जुड़ी लगभग 300 से अधिक कहानियां लिखीं और हिंदी कहानी को एक नया आयाम दिया। उसके बाद आधुनिक कहानी लिखने की एक परंपरा चली। अनेक कहानी कारों ने इस आधुनिक कहानी के विकास में योगदान दिया। जिनमें इलाचंद्र जोशी, रांगेय राघव, यशपाल, महादेवी वर्मा, भगवती चरण वर्मा, उपेंद्र नाथ अश्क, नागार्जुन, विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, मोहन-राकेश, राजेंद्र यादव, कृष्णा सोबती, धर्मवीर भारती, अमरकांत, हरिशंकर परसाई, शरद जोशी, मृदुला गर्ग, काशीनाथ सिंह, जैसे अनगिनत साहित्यकारों की लंबी फेहरिस्त है।