Hindi, asked by ranjanjha40, 6 months ago

) 'आधुनिकीकरण के शौक के कारण लोग अपने संस्कृति-सभ्यता के साथ
साथ अपने माता-पिता का सम्मान करना भूल गए हैं'--इस कथन की
सार्थकता पर अपने विचार लिखें !​

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Answered by amitankush2020
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Answer:

आधुनिकीकरण के शौक के कारण लोग अपने माता-पिता का सम्मान करना भूल गए हैं |

वर्तमान युग विज्ञान का युग है | हर दिन एक नयी तकनीक का आविष्कार हो रहा है | लोगों का रहन-सहन, सोच-विचार बदल रहा है | कंप्यूटर तथा इन्टरनेट ने पूरी दुनिया को एक शहर बना दिया है | ऐसे में हर कोई आधुनिक बनना और दिखाना चाहता है | इस आधुनिकता के कई फायदे हो रहे हैं | लोग अब शिक्षित होना गर्व का विषय समझने लगे हैं | लोगों में सफाई का प्रचलन भी बढ़ रहा है | लोग नयी तकनीकों को जानने व समझने का प्रयत्न करने लगे हैं | लोगों की महत्वाकांक्षाएँ बढ़ने लगी है | वो अधिक से अधिक धन कमाना चाहते हैं | इससे उद्योगों व व्यापार की तेजी से वृद्धि हो रही है | देश की आर्थिक प्रगति की दर बढ़ गयी है |

आधुनिकीकरण के यह लाभ तो हो रहे हैं पर इन के साथ कई हानियाँ भी जुड़ गयी है | इसने हमारे सामजिक ताने–बाने को पूरी तरह हिला के रख दिया है | संयुक्त परिवार तो अब बीते युग की बात हो गयी है | लोग अब साथ में रहना ही नहीं चाहते | संयुक्त परिवार का स्थान केंद्रीय परिवार ने ले लिया है | अब तो स्थिति उससे भी आगे निकल चुकी है | केंद्रीय परिवार में कम से कम संतान तो माता-पिता के साथ रहते थे | पश्चिमी देशों की देखा-देखी अब नया फैशन आ गया है, माता-पिता से अलग रहने का |

अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों में बच्चा जैसे ही बालिग़ होता है वह माता-पिता से अलग रहने लगता है | उसे अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता चाहिए होती है | वह माता-पिता के साथ रहने को अपने व्यक्तिगत जीवन में एक व्यवधान की तरह लेने लगता है | भारतीयों में आजकल

आधुनिकीकरण का शौक पूरे जोरों पर है | लोग पश्चिमी देशों की नक़ल के कारण विवाह के बाद माता-पिता से अलग रहने लगे हैं | उनको लगता है कि माता-पिता के साथ रहने से वो उनके व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करेंगे | माता-पिता घर में हो तो व्यवहार में एक तरह का संयम भी रखना पड़ता है | लोग इन सब चीजों को एक बंधन की तरह समझते हैं | इसलिए वो माता-पिता से अलग रहना चाहते हैं |

जैसे-जैसे माता पिता कि आयु बितती जाती है, स्थिती और बुरी हो जाती है | बुढापे में उन्हें अपनी संतान की सबसे ज्यादा जरुरत होती है | शारीरिक असमर्थता के कारण उन्हें अपार कष्ट सहना पड़ता है | ऐसे समय में यदि सेवा करने के लिए संतान साथ न हो तो जीवन नरक की तरह हो जाता है | जीवन के आखरी वर्षों में जो शारीरिक तथा मानसिक कष्ट उन्हें उठाना पड़ता है उसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता |

कई लोग ऐसे भी हैं जो माता पिता के साथ तो रहते हैं किंतु उनके रहने-सहने के पुराने रंग ढंग के कारण वो उन्हें पसंद नहीं करते | दूसरों से अपने माता-पिता को मिलाने में उन्हें शर्म आती है | कोई मेहमान आनेवाला हो तो वो माता-पिता को एक कमरे में ही रहने की हिदायत दे देते हैं | कोई विशेष कार्यक्रम हो तो उन्हें कहीं बाहर भेज देते हैं ताकि उन्हें लोगों के सामने शर्मिंदा न होना पड़े | उन्हें लगता है उनके माता-पिता की पुरानी जीवनशैली के कारण लोग उन्हें भी पिछड़ा समझेंगे | उनका मजाक उडाएँगे | बाहरी लोगों के सामने खुद की छवि आधुनिक बनाने के चक्कर में वो अपने माता-पिता को टोकते रहते हैं | उनकी हर बात में गलतियाँ निकालते रहते हैं | कई बार उनका अपमान भी कर देते हैं | ऐसे लोगों के जीवन का सबसे बड़ा दुःख यही बन कर रह जाता है कि उनके माता-पिता आधुनिक क्यों नहीं हुए |

संतान की इस तरह की गलतियों के बावजूद माता-पिता का स्नेह उनपर कभी कम नहीं होता बल्कि दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है | वो हमेशा उसके कुशल भविष्य की कामना ही करते हैं | इसलिए मनुष्य को सदैव इस बात का स्मरण रखना चाहिए कि संसार से कमाई हुई सारी धन संपत्ति, सारा मान-सम्मान, सारा सुख व्यर्थ है यदि माता-पिता को हम प्रसन्न न रख पाए तो | जिन्होनें हमें जीवन दिया है, उनके उपकार का बदला चुकाना तो कभी संभव नहीं किन्तु उनकी सेवा कर के मन की शांति अवश्य मिल सकती है | हमें इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी व्यवहार से हमारे माता-पिता को कभी कष्ट न हो |

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