आधुनिक मानव समाज में एक ओर विज्ञान को भी चकित कर देने वाली
उपलब्धियों से निरंतर सभ्यता का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर मानव
मूल्यों का हास होने से समस्या उत्तरोत्तर गूढ़ होती जा रही है। अनेक
सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का शिकार आज का मनुष्य विवेक
और ईमानदारी को त्याग कर भौतिक स्तर से ऊंचा उठने का प्रयत्न कर
रहा है। वह सफलता पाने की लालसा में उचित और अनुचित की चिंता
नहीं करता। उसे तो बस साध्य को पाने का प्रबल इच्छा रहती है। ऐश्वर्य
की प्राप्ति के लिए भयंकर अपराध करने में भी संकोच नहीं करता। वह
इनके नित नये-नये रूपों की खोज करने में अपनी बुद्धि का अपव्यय कर
रहा है। आज हमारे सामने यह प्रमुख समस्या है कि इस अपराध वृद्धि पर
किस प्रकार रोक लगाई जाए। सदाचार, कर्तव्यपरायणता, त्याग आदि
नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर समाज के सुख की कामना करना स्वप्न
मात्र है।
उचित शीर्षक बताएं।
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i) सफलता की लालसा
ii) मानवता का अभाव
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