आधुनिक युग मे भावी पीढी मे हो रहा संस्कारों का हनन पर निबंध।
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आधुनिकता का अतीत : 'अधुना' या यूं कहें कि इस समय जो कुछ है, वह आधुनिक है। कुछ विचारकों की मानें तो आधुनिक शब्द की व्युत्पत्ति पांचवी शताब्दी के उत्तरार्ध में लैटिन भाषा के 'मॉडर्नस' (Modernus) शब्द से हुई, जिसका प्रयोग औपचारिक रूप से तत्कालीन समय में इसाई और गैर-इसाई रोमन अतीत से अलग करने हेतु किया गया था।
उसके बाद इसका प्रयोग प्राचीन की जगह वर्तमान को स्थापित करने हेतु किया गया, जो यूरोप में उस समय उत्पन्न हो रहा था, जब नए युग की चेतना प्राचीन के साथ नए संबंध के माध्यम से नया आकार ग्रहण कर रही थी। अधिकतर विद्वान इस मान्यता पर एकमत दिखाई देते हैं कि आधुनिकता की शुरूआत यूरोप में हुई। इसलिए अक्सर आधुनिकता को 'पश्चिमीकरण का पर्याय' माना जाता है। लोगों को सचेत करते हुए अमृतराय जी लिखते हैं कि "आधुनिकता के लिए हरदम यूरोप और अमेरिका की तरफ टकटकी लगाए रहना बेतुकी बात है, आधुनिकता किसी देश की बपौती नहीं है"।
अवधारणा : आमतौर पर हम लोग आधुनिकता का संबंध आधुनिक युग से समझते हैं, जबकि यह एक विशिष्ट अवधारणा की निर्णायक है। वास्तव में आधुनिकता हमें अज्ञानता एवं तर्कहीनता से मुक्त कराकर एक प्रगतिशील बौद्धिक मंच प्रदान करती है। इतना ही नहीं, यह हमें एक खुली स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिसके द्वारा हम अपने बहुआयामी बौद्धिक विचार आसानी से दुनिया के सामने रखकर प्रायोगिक रूप से कुछ सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। परंतु आज हमारे सामने अहम सवाल यह है कि क्या हम सब आधुनिकता को सही मायने में आत्मसात कर रहे हैं...?? क्या यह सच नहीं, कि ओछी आधुनिकता मानवीय मूल्यों की विध्वंसक बन गई है...?? आज आधुनिकता महज दिखावा, अश्लीलता, फूहड़पन और अज्ञानता में सिमटती नजर आ रही है। हम लोग अपने विवेक का प्रयोग किए बिना कुसंस्कृति एवं संस्कार को अपनाने की होड़ में जद्दोजहद कर रहे हैं, जोकि यह हमारे वर्तमान एवं भावी समाज के लिए अत्यंत घातक है।