Hindi, asked by balaji6511, 3 months ago

आधुनिक युग में "फ़ास्ट फूड"के प्रचलन
का क्या कारण है?​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

आज कल फास्ट-फूड आधुनिकता का पर्याय बन गए हैं और इसी आधुनिकता के चलते कब्ज, अल्सर, हदय रोग, ब्लड प्रेशर, आँखों के रोग, बहरापन, डायबिटीज, कैसर जैसे रोग भी बढ़ रहे हैं। पश्चिमी तरीके से तैयार फास्ट-फूड का सेवन करने वाले लोग अनजाने में रोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। आकर्षक सुविधाजनक हर जगह उपलब्ध होने वाले फास्ट-फूड को लोगों ने जिस तेजी से अपनाया है, उतनी ही रफ्तार से लाइलाज रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। दसअसल यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आड़ में बाजार में कब्जा करने के लिए खाद्य उत्पादों को घटिया तरीके से बेचना शुरू किया है।

जंक फूड आमतौर पर विश्व भर में चिप्स, कैंडी जैसे अल्पाहार को कहा जाता है। बर्गर, पिज्जा जैसे तले-भुने फास्ट फूड को भी जंक फूड की संज्ञा दी जाती है तो कुछ समुदाय जाइरो, तको, फिश और चिप्स जैसे शास्त्रीय भोजनों को जंक फूड मानते हैं। इस श्रेणी में क्या-क्या आता है, ये कई बार सामाजिक दर्जे पर भी निर्भर करता है। जंक फूड आने से पिछले दस सालों में मोटापे से ग्रस्त रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। इनमें केवल बच्चे ही नहीं बल्कि युवा वर्ग भी शामिल है। जंक फूड में अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा होती है। इसमें अधिकतर तलकर बनाए जाने वाले व्यंजनों में पिज्जा, बर्गर, फ्रैंकी, चिप्स, चॉकलेट, पेटीज मुख्य रुप से शामिल हैं। वीएलसीसी की आहर विशेषज्ञ पल्लवी केअन अनुसार बर्गर में १५०-२००, पिज्जा में ३००, शीतल पेय में २०० और पेस्ट्री, केक में करीब १२० किलो कैलोरी होती है जो आजकल लोगों पर मोटापे के रुप में हावी हो रहा है गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है|

आमतौर पर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ जो बाजार में लंबे समय तक टिके रहते हैं, हानिकारक होते हैं। बिस्कुट, पेस्ट्री, नमकीन, अचार, मिठाइयां इत्यादि जिन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए रसायनों का इस्तेमाल होता है शरीर के नाजुक अंगो को क्षति पहँुचाते हैं।डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। आजकल बाजारों में जैसे चटचटे, जायकेदार, व्यंजन मिलने लगे हैं, जिन्हे जब चाहे, जहॉ खोलिये और खाइये। कहीं भी, कभी भी लजीज व्यंजन के भरोसे डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों को पश्चिमी तर्ज पर परोसा जा रहा है, जिसके चलते भारतीय व्यंजन, फीके पड़ने लगे हैं। महंगा फास्ट फूड खरीरकर अपनी सेहत बिगाडने वाले लोग आधुनिकता का दंभ भरते नजर आते हैं। मगर धीरे-धीरे इनका दुष्प्रभाव शुरू होता है, तब चिकित्सकों के भरोसे वे अपने जीवन की गाड़ी घसीटने को मजबूर हो जाते हैं।

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