आधुनिक युग मे योग का महत्व क्यों बढ़ा है?
क्योंकि मनुष्य शरीर से बिलकुल स्वस्थ है।
क्योंकि इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है।
क्योंकि मनुष्य स्वस्थ है।
क्योंकि मनुष्य पूर्ण रूप से भोग विलास मे
मग्न है।
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यो ग का जिक्र वेदों, पुराणों, उपनिषदों, भगवत गीता जैसे प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। भगवान शंकर, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और ऋषि-मुनियों का संबंध योग से रहा है। बौद्धों ने योग को सर्वप्रथम विदेशों जैसे- चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका में प्रचार-प्रसार किया। वर्तमान में योग की शिक्षा पूरी दुनिया में दी जा रही है। योगासन मानव के शरीर और मन को स्वस्थ एवं संतुलित बनाता है। आधुनिक युग में योग का बड़ा महत्व है, क्योंकि वर्तमान में लोग अत्यधिक व्यस्तता, तनाव, अव्यवस्थित जीवनचर्या और मन की व्यग्रता से ग्रसित हैं। योग मनुष्य को आंतरिक एवं बाह्य रूप से स्वस्थ, सुडौल और सुंदर बनाता है। मनुष्य के चौमुखी विकास के लिए योग एक अहम हिस्सा बन चुका है। इस्लाम में नमाज की क्रियाएं साधारण योग की तरह ही हैं। पांच अजानों में पढ़ी जाने वाली पांच वक्त की नमाज इस्लाम के पांच स्तंभों में एक है। पांच वक्त की नमाज का समय निर्धारण सूरज की गतिविधियों पर निर्भर है। सूरज निकलने से पहले ‘फ़र्ज़’, सूरज सिर पे आया जाए तो ‘जोहर’, ढलना शुरू हुआ और प्रत्येक चीज का साया अपने जैसा हो तो ‘असर’, सूरज अस्त हो तो ‘मगरिब’ और सूरज डूबने के बाद सुर्खियां सुर्खी गायब होने पर ‘ईशा’। इस तरह इस्लाम में सूरज के महत्व को समझा जा सकता है।
डॉ. मोहम्मद जाकिर, शिक्षाविद्, रांची
नमाज से बीमारी होती है दूर
नमाज से योग की तरह ही शरीर और मन तरोताजा होता है और खोई शक्ति वापस प्राप्त होती है। समाज नमाज के दौरान कयाम, रुकू, सजदा, जलसा- सलाम फेरना प्रक्रिया से सिर से पांव के अंगूठे का व्यायाम होता है। एक दिन में पांच बार पढ़ी जाने वाली नमाज़ में कुल 48 ‘रकत’ (नमाज़ का पूरा चक्र) हैं। जिनमें से 17 ‘फर्ज़’ हैं। और हर रकत में 7 प्रक्रियाएं (मुद्राएं) होती हैं। एक नमाज़ी 17 अनिवार्य रकत करता है। तो लगभग वह एक दिन में करीब 50 मिनट में 119 मुद्राएं करता है। जिंदगी में यदि कोई व्यक्ति पाबंदी के साथ नमाज अदा करता है, तो कई प्रकार की बीमारी से दूर रहेगा।
तनाव से मुक्ति, एकाग्रता बढ़ती है