Hindi, asked by swarup110280, 10 months ago

आधुनिकता और भारतीयता पर निब्सन्ध

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Answered by kirtisingh01
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Explanation:

आधुनिकता एक सोर् है, एक नवर्ार है , जो व्यनि को इस दुनिया के प्रनत अनधक जागरूक व

मािवीय दृनिकोण से जीिे का सही मागच क्रदखलाती है. आज जीवि का हर क्षेत्र आधुनिकता से

पररपूणच है. आधुनिकता के वल नवकनसत या नवकासशील देशों में ही िहीं अनपतु जीवि के हर

क्षेत्र में देखी जा सकती है. आज हर देश एक दूसरे की आधुनिकता को आत्मसात करिे में लगा

हुआ है. कु छ देश आधुनिकता को अपिे अनस्तत्व के नलए खतरा भी समझ रहे है. आधुनिकता

क्रक शुरुआत कहााँ से मािी जाये यह एक ऐसा प्रश्न है जो हमेशा सानहत्यकारों, इनतहासकारों,

समाजशानियों आक्रद को कर्ोटता रहा है. मेरी िजर में अगर हम आधुनिकता को ठीक-ठाक से

समझिा र्ाहते है तो मि एविं आत्मसात क्रक प्रक्रियािं को समझिा बहुत आवश्यक है. क्रकसी भी

‘वस्तु को मि जब आत्मसात करता है तभी हम उसकी उपयोनगता को ग्रहण करते है. आधुनिकता

पूणच रूप से मािनसक प्रक्रिया है. मि ही अपिे अिुसार परम्परा एविं आधुनिकता क्रक पररपाटी बिाता है. जब मि यह प्रक्रिया पूणच करता है तो मािवीय देह भी उसके अिुसार कायच करिे लग

जाती है’.

शोध प्रनवनध :-प्रस्तुत शोध-पत्र में नववरणात्मक शोध-प्रनवनध केमाध्यम से मैंिे आधुनिकता के

स्वरूप को समझिे एविं समझािे का प्रयास क्रकया है | क्योंक्रक अगर हमें क्रकसी के बारे में जाििा

है तो उसकी अवधारणा स्वरूप और प्रक्रिया को जाििा अत्यिंत आवश्यक है | इसी को आधार

मािकर मैंिे नवश्लेषणात्मक एविं नवर्ारात्मक प्रनवनध को अपिाया है |

नवर्ार-नवमशच :- प्रस्तुत शोध-पत्र उि तमाम मसलों को उजागर करता है, जो आधुनिक तो है

लेक्रकि कहीं ि कहीं मािनसक गुलामी का नशकार है | आधुनिकता के वल क्रकसी भी सिंस्कृ नत या

पहिावे को देखकर िहीं अपिाई जाती बनकक उसकी प्रसािंनगकता तथा समाज को उसकी

अभूतपूवच देि क्या है, समाज को वह कहा तक मददगार है, केमहत्व पर अपिाई जाती है |

नवनभन्न नवद्वािों की कही बातों को आधार बिाकर मैंिे आधुनिकता की अवधारणा, स्वरूप तथा

प्रक्रिया को स्पि करिे का प्रयास क्रकया है |

उद्देश्य :- आज आधुनिक जीवियापि करिे वाला व्यनि अपिे कल से भयभीत है. और इसी

भय के कारण वह प्रनतस्पधाच की दोड़ में शानमल होकर अपिेआिे वाले कल के नलए कािंटे बीज

रहा है. क्योंक्रक यह बात सक्रदयों से र्ली आ रही है जो वस्तु या र्ीज नजतिी सरल, सहज एविं

खूबसूरत होती है वह उतिी ही खतरिाक और खोफ से भरी होती है. इस प्रनतस्पधाच और एक-

दूसरे से आगे बढ़िे की होड़ िे आधुनिकता में अपिे नविाश के बीज व्याप्त कर नलए है नजसके

कई उदहारण नवि में हमे देखिे को नमलते है. आज एक व्यनि पुरे सिंसार को नविाश करिे की

ताकत को अपिे साथ लेकर घूमता है. आधुनिकता की आड़ में कई ऐसे कायच हो रहे है नजसकी

अनभव्यनि करिा शायद सम्भव भी ि हो सके. यहााँमैंगजाििंद माधव मुनिबोध की बात को

कई बार सोर्ता भी हाँ नजन्होंिे‘अाँधेरे में’ कनवता में कहा “अनभव्यनि के सारे खतरे उठािे ही

होंगे/ तोड़िेहोंगे, मठ और गढ़ सब” लेक्रकि अब यह अनभव्यनि इतिी क्षीण हो गई है क्रक मठ

और गढ़ ठेके दारों के इशारों पर र्लती है.

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