आधी रात को कोयल की कूक सुनकर कवि क्या अनुमान लगाता है ?
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कवि ने कोयल के भिन्न स्वर के कारण यहाँ कोकिला की ही बात की है। कोयल वैसे भी रात को नहीं बोलती उसका इस प्रकार बोलना कवि को अन्दर तक छू लेता है। अत:रात को उसका इस प्रकार पुकारना किसी संकट का प्रतीक है।
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कोयल की कूक सुनकर कवि को आभाष हो जाता है कि कोयल अवश्य ही कोई महत्वपूर्ण संदेश लेकर आई है, वरना वह अर्द्धरात्री में आवाज़ नहीं करती |
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