Hindi, asked by bismapari9269, 7 hours ago

आधनु नक मानव िेजी के साथ दौड रहा है । उसे अऩने ऱक्ष्य का ऩिा नहीॊ, उसे अऩनी मॊक्जऱ का ऩिा नहीॊ, इसशऱए उसे खदु नहीॊ ऩिा कक उसे जाना कहाॊ है । उसकी यात्रा ऱक्ष्यहीन है।उसकीयात्राकाकोईउद्देश्यनजरनहीॊआिा।इसकाएकमख्ु यकारणहैककनिोवह ककसी को अऩने से योग्य बनिा देख सकिा है और न ही ककसी को अऩने से आगे ननकऱिा हुआ देखकर सहन कर सकिा है । आज मनष्ु य में स्वाथय िथा व्यक्तिगि उन्ननि की ऐसी भखू जागउठीहैककइसभखू नेउसेइॊसानसेहैवानबनाददयाहै।आजके मनष्ुयकाएकमात्र ऱक्ष्य रह गया है ‘जैस-े िैसे दसू रों से आगे ननकऱना, दसू रों को ऩीछे छोडना और यही नहीॊ उन्हें हानन ऩहुॊचाने से भी ऩीछे न हटना ।’ आज का मानव दसू रों से आगे बढ़ने के शऱए अऩनी इॊसाननयि को भऱू बैठा है, अऩने मानवीय मल्ू यों को छोड बैठा है िथा अनचु चि साधनों को अऩना रहा है । मनष्ु य सोचिा है कक आज के सॊदभय में वही सबका स्वामी होगा, वही सब ऩर ननयॊत्रण करेगा, जो सबसे आगे होगा, क्जसके ऩास सबसे अचधक धन-सॊऩदा होगी, सबसे अचधक ऐश्वयय होंगे, इसीशऱए वह दसू रों को कु चऱ कर भी सबसे आगे ननकऱ सकिा है ।

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Answered by FadedHacks
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Answer:

Modern man is running with speed. He doesn't know his goal, so he doesn't know where he has to go. His journey is aimless. His journey does not come without any purpose. The main reason for this is that he cannot see anyone being better than himself, nor can he bear seeing someone getting ahead of him. Today such a hunger for health and personal advancement has awakened in man that this hunger has made him worse than this. Today the only goal of man is 'to get ahead of others, leave others behind and not only do not hold back from harming them. It has abandoned its human values ​​and is adopting unfair means. Man thinks that in today's world he will be the master of everything, he will control everything, who will be at the fore, will have the most wealth, that is why he will be in the forefront even after destroying others. It is possible.

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