Hindi, asked by rebelforza, 7 months ago

Aatmnirbharta hi desh ki pragati

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer: “मैं निश्चयपूर्वक कहता हूँ कि जो युवा पुरुष सब बातों में दूसरों का सहारा चाहते हैं, जो सदा एक न एक नया अगुआ ढूंढा करते हैं और उनके अनुयायी बना करते हैं, वे आत्म संस्कार के कार्य में उन्नति नहीं कर सकते । उन्हें स्वयं विचार करना, अपनी सम्पत्ति आप स्थिर करना, दूसरों की उचित बातों का मूल्य समझते हुए भी उनका अन्धभक्त न होना सीखना चाहिए ।”

हिन्दी के महान् आलोचक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत निबन्ध को पढ़कर हमें आत्मनिर्भर बनने की सीख मिलती है । वस्तुतः जीवन एक संघर्ष है और इस संघर्ष में मनुष्य को समाज का अपेक्षित सहयोग भी मिलता है ।

Explanation:

यह सहयोग यदि आवश्यकता से अधिक मिलने लगे, तो वह दूसरी पर निर्भर रहने का आदी हो जाता है । दूसरों पर उसकी निर्भरता उसकी परतन्त्रता का कारण भी बन जाती है । दूसरे पर निर्भर रहकर व्यक्ति अपने जीवन के सुखों का वास्तविक उपभोग नहीं कर सकता, इसलिए कहा गया है- ”पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं ।” वास्तव में, स्वावलम्बन या आत्मनिर्भरता ही मनुष्य को स्वाधीन बनने की प्रेरणा देती है । आत्मनिर्भरता की स्थिति में व्यक्ति अपनी इच्छाओं को अपनी सुविधानुसार पूरा कर पाता है ।

उसे इसके लिए दूसरों के सहयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती । कवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘साकेत’ में उर्मिला लक्ष्मण संवाद के रूप में स्वावलम्बन को महिमामण्डित करते हुए लिखा है-

“यह पापपूर्ण परावलम्बन चूर्ण होकर दूर हो,

फिर स्वावलम्बन का हमें प्रिय पुण्य पाठ पढ़ाइए ।”

पारिभाषिक रूप से देखें, तो आत्मनिर्भरता का तात्पर्य होता है- किसी वस्तु अथवा कार्य हेतु स्वयं पर निर्भर रहना । हम अपने चारों ओर की प्रकृति पर नजर डालें, तो पता चलता है कि छोटे-बड़े जीव-जन्तु भी आत्मनिर्भर हैं ।

उन्हें अपने भोजन के लिए भी दूसरे पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती । कुछ पशु-पक्षी तो जन्म लेने के तुरन्त बाद चलने-फिरने एवं स्वयं भोजन प्राप्त कर सकने में सक्षम हो जाते हैं ।

मनुष्य के साथ ऐसा नहीं है, उसे जन्म के बाद कुछ समय तक अपने परिवार पर निर्भर रहना पड़ता है । इसके बाद आत्मनिर्भर होने तक वह परिवार के साथ-साथ समाज का सहयोग भी प्राप्त करता है ।

मनुष्य स्वभावतः सुख की चाह तो रखता है, लेकिन इसके लिए वह परिश्रम करने से यथासम्भव बचने की कोशिश करता है । इसी कारण वह अपने कार्यों एवं वस्तुओं के लिए दूसरों पर निर्भर होने लगता है ।

_*Hope it helps*_

MARK AS BRAINLIEST

Similar questions