Aatmnirbhr essay in hindi easy and short in easy language
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मैं निश्चय पूर्वक कहता हूं कि जो युवा पुरुष सब बातों में दूसरों का सहारा चाहते हैं, जो सदा एक ना एक नया अगुआ ढूंढा करते हैं और उनके अनुयायी बना करते हैं, वे आतम संस्कार के कार्य में उन्नति नहीं कर सकते उन्हें स्वयं विचार करना, अपनी संपत्ति आप स्थिर करना, दूसरों के उचित बातों का मूल्य समझते हुए भी उनका अंधभक्त ना होना सीखना चाहिए।
हिंदी के महान आलोचक आचार्य रामचंद्र शुक्ल कृत निबंध को पढ़कर हमें आत्मनिर्भर बनने की सीख मिलती है। वस्तुत:जीवन एक संघर्ष है और इस संघर्ष में मनुष्य को समाज का अपेक्षित सहयोग भी मिलता है
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