आवारा जीवन किसका अतिथि है
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Answer:
विष्णु प्रभाकर (21 जून, 1912 - 11 अप्रैल, 2009) द्वारा लिखा गया शरतचंद्र का जीवनीपरक उपन्यास 'आवारा मसीहा' भी ठीक इन्हीं विपरीत ध्रुवों के आकर्षण का परिणाम-सा जान पड़ता है.
उत्तर:
प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी है। आवारा मसीहा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की जीवनी है।
व्याख्या:
चट्टोपाध्याय की गणना भारत के ऐसे उपन्याकारों में की जाती है जो सच्चे अर्थों में देशभर में अत्यन्त लोकप्रिय थे। उनकी प्रायः सभी रचनाओं का अनुवाद भारत की सभी भाषाओं में हुआ और वे खूब चाव से बार बार पढ़ी गयी, आज भी पढी जाती है। परन्तु आश्चर्य की बात यह है कि एकाध को छोड़कर उनकी कोई भी संतोषजनक जीवनी बांग्ला में भी उपलब्ध नहीं है। इस कार्य को पूरा करने का बीड़ा अनेक वर्ष पूर्व श्री विष्णु प्रभाकर ने उठाया था। वे स्वयं प्रथम श्रेणी के कथाकार हैं और शरतचंद्र में गहरी आस्था रखते हैं, उन्होंने यात्रा-पत्र-व्यवहार, भेंटवार्ता आदि अब तक के समस्त उपायों और साधनों से इस कार्य को पूर्ण किया है, जो कि इस ग्रन्थ में प्रस्तुत है। यह जीवन चरित्र न केवल बहुत विस्तार से उन पर प्रकाश डालता है अपितु उनके जीवन के कई अज्ञात पहलुओं को भी उजागर करता है। ‘आवारा मसीहा’ का प्रथम संस्करण मार्च 1974 में प्रकाशित हुआ था। पच्चीस वर्ष बीत गए हैं इस बात को। इन वर्षों में इसके अनेक संस्करण हो चुके हैं।जब पहला संस्करण हुआ तो मैं मन ही मन डर रहा था कि कहीं बंगाली मित्र मेरी कुछ स्थापनाओं को लेकर क्रुद्ध न हो उठें। लेकिन मेरे हर्ष का पार नहीं था जब सबसे पहला पत्र मुझे एक बांग्ला भाषा की पत्रिका के संपादक का मिला। उन्होंने लिखा था कि आपने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और चिरस्थायी कार्य किया जो हम नहीं कर सके। मैं तो जैसे जी उठा। वैसे कुछ अपवादों को छोड़कर सभी पाठकों ने मुझे साधुवाद दिया।
#SPJ3