आवृत बीजी के बीजांड के विकास एवं संरचना का वर्णन बताओ
Answers
इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं। इनके संवहन पुल में कैम्बियम पाये जाते हैं। इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) चार या पांच के गुणांक में होते हैं। ... इनमें पाया जाने वाला संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहता है।
सम्मिलित किया गया है जिनमें बीज सदैव फल के अंदर होते हैं। ये शाक (herbs), झाड़ियाँ (shrubs) तथा वृक्ष (Tree) तीनों प्रकार के होते हैं। आवृतबीजी पौधों के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
इनमें प्रजनन अंग पुष्प होता है।
इनमें दोहरा निषेचन (Double fertilization) दृष्टिगत होता है।
ये मृदोपजीवी (Saprophyte), परजीवी (Parasite), सहजीवी (Symbiotic), कीटभक्षी (Insectivorous) तथा स्वपोषी (Autotrophs) के रूप में पाए जाते हैं।
ये सामान्यतया स्थलीय पौधे होते हैं, लेकिन कुछ पौधे जल में भी पाये जाते हैं।
इनमें संवहन तंत्र अति विकसित होता है।
वर्गीकरण: आवृतबीजी पौधों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है—
एकबीजपत्री (Monocotyledonae) तथा
द्विबीजपत्री (Dicotyledonae)
एकबीजपत्री के प्रमुख लक्षण-
इनके बीजों में केवल एक बीजपत्र (Cotyledon) उपस्थित होता है।
इनकी जड़े प्रायः अधिक विकसित नहीं होती हैं।
इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) तीन या उसके गुणांक होते हैं।
इनके संवहन पूल में कैम्बियम (Cambium) नहीं पाया जाता है।
द्विबीजपत्री के प्रमुख लक्षण:
इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं।
इनके संवहन पुल में कैम्बियम पाये जाते हैं।
इनके पुष्पों के भाग (Floral parts) चार या पांच के गुणांक में होते हैं।
इनमें द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) पायी जाती है।
इनकी पत्तियों में जालिकावत शिराविन्यास होता है।
इनमें पाया जाने वाला संवहन बंडल वलयाकार रूप में व्यवस्थित रहता है।
इनका जड़ तंत्र अधिमूल (root cap) एवं उसकी शाखाओं के साथ फैला रहता है।
आवृत्तबीजी का अर्थ ‘ढका हुआ बीज’ होता है।
आवृत्तबीजी (Argiosperm) पादप जगत का सबसे बड़ा समूह है।