आवृत्तबीजी के उद्गम के विभिन्न सिद्धांतों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए
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आवर्ती वीजिओ के उद्गम के विभिन्न सिद्धांत
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आवृत्तबीजी के उद्गम के विभिन्न सिद्धांतों का संक्षिप्त में वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है।
आवृत्तबीजी वे पौधे होते है जिनके फलों के बीज आवरण से ढके रहते है व फल के अंदर होते है।
- इस भाग में शाक, झाड़ियां तथा पेड़ों का समावेश है।
आवृत्तबीजी पौधों के लक्षण
- इनमे पुष्प प्रजनन का मुख्य अंग होता है।
- इन पौधों में दोहरा निषेचन होता है।
- ये पौधे परजीवी, कीटबक्षी व सहजीवी व स्वपोषी के रूप में पाए जाते है।
- सामान्यत ये स्थल में पाए जाने वाले पौधे होते है, कुछ जल में भी पाए जाते हैं।
- इन पौधों का संवहन तंत्र अति विकसित होता है।
आवृत्तबीजी पौधों के प्रकार
- ये दो प्रकार के होते है ।
- एकबीज पत्री - एकबीज पत्री पौधे वे होते है जिनके बीजों में एकबीज पत्र होता है , उदाहरण - गेंहू, मक्का आदि।
- द्विबीज पत्री - इस प्रकार के पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते है , उदाहरण - मटर, मूंगफली।
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