आवघन क्षमता से आप क्या समझते है
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किसी वस्तु के वास्तविक आकार को बदले बिना उसको अपने वास्तविक आकार से बड़ा दिखाना आवर्धन कहलाता है। वस्तु जितने गुना बड़ी दिखती है, उसे 'आवर्धन' कहते हैं। यदि आवर्धन 1 से अधिक है तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिक रही है। यदि आवर्धन का मान 1 से कम हो तो इसका अर्थ है कि वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिख रही है।आवर्धन क्षमता :
---यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी Dपर बनता है तो संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u(1+D/fe) इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+u) होगी|
----यदि अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है, संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u× D/fe इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+ fe) होगी|
जहाँ, u = AB की अभिदृश्यक लेंस से दूरी, v= A1B1की अभिदृश्यक लेंस O से दूरी, fe = नेत्रिका की फोकस दूरी| र्नित्मक चिन्ह यह प्रकट कर रहा है की प्रतिबिम्ब उल्टा बन रहा है|
---यदि अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी Dपर बनता है तो संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u(1+D/fe) इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+u) होगी|
----यदि अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत पर बनता है, संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -v/u× D/fe इस स्थिति में सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई (v+ fe) होगी|
जहाँ, u = AB की अभिदृश्यक लेंस से दूरी, v= A1B1की अभिदृश्यक लेंस O से दूरी, fe = नेत्रिका की फोकस दूरी| र्नित्मक चिन्ह यह प्रकट कर रहा है की प्रतिबिम्ब उल्टा बन रहा है|
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