Hindi, asked by shavin121545, 11 months ago

आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।2।।
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि।
मनवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं।।3।। meaning bata do ​

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Answered by dcharan1150
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कबीर दास जी के दोहे का अर्थ |

Explanation:

आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक |

कह कबीर नहीं उलटिए, वही एक की एक ||

ऊपर दिए गए दोहे का अर्थ:-

यहां कबीर दास जी कह रहें की, हमें कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति को गाली या कटु वचन नहीं बोलना चाहिए| क्यूंकी अगर हम किसी को गाली या कटु वचन कहते हैं, तो वह व्यक्ति हमें और भी ज्यादा गाली देगा और गालीयां देने का यह चक्र बहुत समय तक इसी तरह चलता रहेगा|

तो, हमें इस दोहे से यह सीखने को मिलता है की चाहे कैसी भी परिस्थिति हो कभी भी अपना संयम न खोएं और जितना हो सके झगड़ों से बच कर रहें|

मला तो कर में फिरे, जिभी फिरै मुख माँहिं |

मनवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहीं ||

ऊपर दिए गए दोहे का अर्थ :-

यहां कबीर दास जी कह रहें की, अगर कोई व्यक्ति हाथ में माला ले कर अपने मुख में किसी दूसरे ही विचार पर बोलता रहें तो वह प्रभु भगवान जी को अपने सच्चे मन से नहीं बुला रहें हैं| अगर हमारे मन में दशों दिशा से आने वाली वर्थ के चिंताएं घर कर लेंगी तो, कैसे हमारा मन पूर्ण रूप से भगवान जी को समर्पित हो पाएगा|

तो, हमें इस दोहे से यह सीखने को मिलता है की हमेशा साफ मन से पूरे एकग्रता के साथ प्रभु जी का ध्यान करना चाहिए| तभी, हमारा प्रार्थना सफल होगा|

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