Aavshaktao ke dohre se aap kya samajhte hai
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जब वस्तु-विनिमय के अंतर्गत दो व्यक्तियों की पारम्परिक आवश्यकताओं में समानता हो तब इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है | जैसे किसी व्यक्ति को एक किलो शहद देकर पाँच किलो अनाज खरीदना है और उसे बाजार में ऐसा व्यक्ति मिल जाए जो पाँच किलो अनाज के बदले एक किलो शहद क्रय करने को तैयार हो |
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