Hindi, asked by esja, 7 months ago

आयाकार ज्यामल नील नीलल
ऋतुधात सैट
उसमथिरान राष्ट्र ही
बादल को घिरते देखा है कविता के प्रकृति चित्तण
चार लिन्युओं से पर्णा फीजिए
का
आप​

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Answered by Anupk3724
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बादल को घिरते देखा है(badal ko ghirte dekha hai) – [नागार्जुन]

यह कविता नागार्जुन के कविता संग्रह ’युगधारा’ से संकलित है। इसमें कवि ने बादल व प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया है।

’बादल को घिरते देखा है ’कविता में बादल की प्रकृति के बारे में कवि का अपना चिंतन है। यह बादल कालिदास के मेघदूत है जो विरही के पास संदेश लेकर जाते हैं। इन्हीं बादलों के साथ कस्तूरी मृग की बैचनी, बर्फीली घाटियों में क्रन्दन करते चकवा-चकवी और किन्नर-किन्नरियों के काल्पनिक चित्रण को बादल के साथ सम्बद्ध कर प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत कविता कल्पना दृष्टि से कालिदास एवं निराला की काव्य परंपरा की सारथी है।

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