आयात व निर्मात व्यपार मैं अन्तर
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आयात किसे कहते हैं
आयात जिसे अंग्रेजी में इम्पोर्ट कहते हैं इसका सामान्य अर्थ होता है किसी भी अन्य देश से अपने देश में कुछ मंगाना। विश्व के सभी देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। इस व्यापार में एक देश दूसरे देश से या तो कुछ खरीदता है या उस देश को कोई वस्तु बेंचता है। कई बार अपने देश में किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए या कई बार किसी वस्तु के निर्माण के लिए कच्चा माल के लिए दूसरे देशों से उन वस्तुओं की खरीदारी की जाती है। तो कई बार विदेशों से सर्विस के लिए भी एक देश दूसरे देश को मूल्य चुकाना पड़ता है। अतः वे सारी क्रियाएं जिनके द्वारा हम किसी दूसरे देश से सेवाएं, कच्चा माल, वस्तुएं या अन्य कोई भी सामान पैसे चुकाकर प्राप्त करते हैं अर्थात खरीदारी करते हैं आयात या इम्पोर्ट कहलाता है.
निर्यात किसे कहते हैं
आयात के ठीक विपरीत निर्यात एक देश से दूसरे देशों में वस्तुओं के विक्रय की प्रक्रिया को कहा जाता है। निर्यात को अंग्रेजी में एक्सपोर्ट कहते हैं। निर्यात तब किया जाता है जब अपने देश में किसी वस्तु की सरप्लस मात्रा मौजूद हो। दुनियां के तमाम देश एक दूसरे से व्यापार करते हैं। निर्यात इसी व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। निर्यात में कच्चे पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स, युद्ध हथियार, सेवाएं भी शामिल हैं। निर्यात किसी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। अतः हम कह सकते हैं कि वे सभी क्रियाएं जिनके द्वारा कोई देश दूसरे देश को वस्तु या सेवा का विक्रय करता है और उसके बदले में उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है निर्यात कहलाती है।
आयात और निर्यात में क्या अंतर है
Difference Between Import and Export
जब कोई देश किसी दूसरे देश से कोई माल अपने घरेलु बाज़ार में बेंचने के लिए खरीदता है तो इस प्रक्रिया को आयात कहते हैं वहीँ जब एक देश किसी दूसरे देश को अपने यहाँ उत्पादित वस्तुओं को बेंचता है तो इस प्रक्रिया को निर्यात कहते हैं।
आयात का उद्द्येश्य अपने देश में उस वस्तु के संकट या कमी को दूर करना होता है जबकि निर्यात का उद्द्येश्य अपने देश के सरप्लस माल को दूसरे देशों खपाना होता है।
आयात किसी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है वहीँ निर्यात किसी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है।
आयात और निर्यात दोनों ही विदेश व्यापार के अंतर्गत आते हैं। एक ही देश किसी वस्तु का आयातक हो सकता है तो दूसरी वस्तु का निर्यातक। खाड़ी देश जहाँ कच्चे तेल के निर्यातक हैं तो वहीँ अनाज, फल, सब्ज़ियों के वे बड़े आयातक हैं। वास्तव में एक देश के लिए आयात दूसरे देश के लिए निर्यात होता है। आयात और निर्यात से वस्तुओं का भण्डारण और खराब होने की संभावना जहाँ ख़त्म होती है वहीँ दूसरे देश जहाँ उसकी कमी है उनको उसका लाभ मिल जाता है और उसका सदुपयोग हो जाता है। इसके साथ ही निर्यात करने वाले देश को आर्थिक लाभ भी मिलता है।