आयु:
दयस्थः
दि
1. यदि हम वैद्य होते तो कफ और पित्त के सहवर्ती बात की व्याख्या करते तथा भूगोलवेत्ता होते तो किसी देश के
जल-बात का वर्णन करते, किन्तु दोनों विषयों में से हमें एक बात कहने का भी प्रयोजन नहीं है। हम तो केवल उसी के ऊपर
दो-चार बातें लिखते हैं, जो हमारे-तुम्हारे सम्भाषण के समय मुख से निकल-निकल के परस्पर हृदयस्थ भाव को प्रकाशित करती
रहती हैं।
प्रश्न-(क) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
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Explanation:
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