"आया ऊंट पहाड़ के नीचे" यह लोकोक्ति आज के परिवेश में कैसे सटीक बैठती है - पर एक 100 से 120 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए
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"आया ऊंट पहाड़ के नीचे" यह लोकोक्ति आज के परिवेश में कैसे सटीक बैठती है - पर एक 100 से 120 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए ?
"आया ऊंट पहाड़ के नीचे" यह लोकोक्ति आज के परिवेश में मनुष्य पर दम सटीक बैठती है| आज के समय में हम मनुष्य कोरोना के नीचे आए हुए है| यह लोकोक्ति कोरोना महामारी के चलते हुए मनुष्य ऊंट बना हुआ है और कोरना पहाड़ बना हुआ है|
मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का बहुत दुखी कर दिया था| इसी कारण आज मनुष्य की हालत आया ऊंट पहाड़ के नीचे जैसे हो गई है | आज मनुष्य अपने घरों में कैद वह बहार निकल सकता | आज मनुष्य अपने परिवार वालो से दूर है और वह किसी के पास आ जा नहीं सकता है| बहार निकलते समय भी उसे मुंह में मास्क लगा कर जाना पड़ रहा है | यह मास्क लगा कर चलना भी एक सज़ा के रूप में है| बहुत से लोग आज के समय में बेरोजगार हो गए है |
मनुष्य ने बहुत कर ली अपनी मनमर्जी आज उसे सज़ा मिली रही | आज मनुष्य की हालत मायूस बनी हुई है | वह इस हालत से वह बेबस हो गया है |