आयनन एंथैल्पी को परिभाषित करें और इसका वर्ग व आवर्त में परिवर्तन समझाइए
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परिभाषा:
आयनन एन्थैल्पी:-
ऊर्जा के बाह्यतम कोश में वह न्यूनतम मात्रा जो किसी उदासीन , गैसीय , विलगित परमाणु के बाह्यतम कोश में शिथिलता से बंधे एक इलेक्ट्रॉन को हटाने के लिए तथा गैसीय अवस्था में ही धनायन बनाने के लिए आवश्यक होती है, आयनन एन्थैल्पी या आयनन ऊर्जा कहलाती है।
समझने हेतु:
जैसा कि हम जानते हैं कि विलगित उदासीन परमाणु सामान्यतया धातु परमाणु इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाते हैं। नाभिक व इलेक्ट्रॉनों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ने के लिए आवश्यक ऊर्जा , आयनन एन्थैल्पी कहलाती है।
*एन्थैल्पी को H से तथा एन्थैल्पी परिवर्तन को ∆H से निरुपित किया जाता है। यदि ऊर्जा ग्रहण की जाती है तो इसे धनात्मक तथा यदि ऊर्जा मुक्त होती है, तो इसे ऋणात्मक चिन्ह दिया जाता है।
*आयनन एन्थैल्पी को IE से प्रर्दशित करते है। इसे आयनन विभव के रुप में भी व्यक्त किया जाता है, जब इसकी गणना ऊष्मागतिकीय पदों में की जाती है।
*इसका मात्रक KJ mol-1 होता है।
परिवर्तन:
समूह में :-
एक समूह में आयनन एन्थैल्पी/ ऊर्जा का मान , ऊपर से नीचे जाने पर , परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ कम होता है, क्योंकि परमाणु क्रमांक के साथ , ऊर्जा कोश (n) का मान भी बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन व नाभिक के मध्य की दूरी बढ़ती है।अंततः आयनन एन्थैल्पी/ऊर्जा का मान कम होता है।
आवर्त में:-
आवर्त में सामान्यतः बाएं से दाएं चलने पर परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ नाभिकीय आवेश बढ़ता है , जिससे परमाण्विय आमाप कम होता जाता है , इस कारण नाभिक व इलेक्ट्रॉन के मध्य आकर्षण अधिक होता जाता है तथा इलेक्ट्रॉन को हटाने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
Explanation:
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