आयनन विभव एवं इसकी अवर्तता समझाये, द्वितीय आयनन विभव का मान प्रथम आयनन विभव से अधिक क्यों होता है
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किसी विलगित (आइसोलेटेड) गैसीय अवस्था वाले परमाणु के सबसे शिथिलतः बद्ध (लूजली बाउण्ड) इलेक्ट्रान को परमाणु से अलग करने के लिये आवश्यक ऊर्जा, आयनन ऊर्जा ( ionization energy (IE)) या 'आयनन विभव' या 'आयनन एन्थैल्पी' कहलाती है।
{\displaystyle \ A_{(g)}+E_{I}\to A_{(g)}^{+}\ +e^{-}}{\displaystyle \ A_{(g)}+E_{I}\to A_{(g)}^{+}\ +e^{-}}.
जहाँ {\displaystyle A_{(g)}}{\displaystyle A_{(g)}} किसी रासायनिक तत्त्व का गैसीय अवस्था में स्थित परमाणु है; E_i, आयनन ऊर्जा है जिसको प्रथम आयनन ऊर्जा भी कहते हैं। दूसरे सबसे शिलिलतः बद्ध इलेक्ट्रान को परमाणु से बाहर निकालने के लिये आवश्यक ऊर्जा को द्वितीय आयनन ऊर्जा कहते हैं। द्वितीय आयनन ऊर्जा, प्रथम आयनन ऊर्जा से अधिक होती है।
आययन ऊर्जा को इलेक्ट्रान वोल्ट (eV) में, या 'जूल प्रति मोल' में व्यक्त किया जाता है।
1 eV = 1,6 × 10-19 C × 1 V = 1,6 × 10-19 J