aaynan enthalpy Kise Kahate Hain
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आयनन एन्थैल्पी या आयनन विभव या आयनन ऊर्जा : किसी गैसीय उदासीन परमाणु के बाह्यतम कोश से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए दी गयी आवश्यक ऊर्जा को आयनन एन्थैल्पी कहते है इसे △iH से व्यक्त करते है।
नोट :
किसी तत्व में से एक इलेक्ट्रॉन निकालने के बाद दूसरा इलेक्ट्रॉन निकाला जाता है तो आवश्यक ऊर्जा को द्वितीयक आयनन एन्थैल्पी कहते है।
द्वितीय आयनन एन्थैल्पी का मान प्रथम आयनन एन्थैल्पी से अधिक होता है क्योंकि द्वितीय इलेक्ट्रॉन किसी धनायन में से निकाला जाता है और धनायन का आकार छोटा होता है।
आयनन एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक
1. परमाणु का आकार : वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है , बाह्य इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी बढती जाती है और इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: आयनन एन्थैल्पी कम होती जाती है।
अर्थात आयनन एन्थैल्पी का मान परमाणु के आकार के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
2. प्रभावी नाभिकीय आवेश : आवर्त सारणी में बाएं से दायें जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है , बाह्य इलेक्ट्रॉन से नाभिक की दूरी कम होती जाती है अत: इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: आयनन एन्थैल्पी बढती जाती है।
अर्थात आयनन विभव का मान प्रभावी नाभिकीय आवेश के समानुपाती होता है।
3. परिरक्षण प्रभाव : परिरक्षण प्रभाव बढ़ने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है , बाह्य इलेक्ट्रॉन से नाभिक की दूरी बढती जाती है , इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: आयनन एन्थैल्पी कम होती जाती है।
अर्थात आयनन एंथैल्पी का मान परिरक्षण प्रभाव के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
4. अर्धपूरित व पूर्णभरे तत्वों का स्थायित्व : अर्धपूरित और पूर्ण भरे कक्षक अन्य कक्षकों की तुलना में अधिक स्थायी होते है। इनमें से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: आयनन एन्थैल्पी भी अधिक होती है।
प्रश्न 1 : नाइट्रोजन की आयनन एन्थैल्पी ऑक्सीजन से अधिक होती है , क्यों ?
उत्तर : नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He] 2s2 sp3 होता है , p कक्षक अर्धपूरित अवस्था में होने के कारण यह अधिक स्थायी होता है , इसमें से इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: नाइट्रोजन की आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है।
ऑक्सीजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [He] 2s2 sp4 होता है , यह एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर अधिक स्थायी होना चाहता है। इस इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए बहुत कम ऊर्जा की आवश्कता होती है अत: आयनन एन्थैल्पी भी कम होती है।
प्रश्न 2 : फास्फोरस की आयनन एंथैल्पी सल्फर से अधिक होती है , क्यों ?
उत्तर : फास्फोरस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 10[Ne] 3s2 3p3 होता है , p कक्षक अर्धपूरित अवस्था में होने के कारण यह अधिक स्थायी होता है , इसमें से इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: फास्फोरस की आयनन एन्थैल्पी भी अधिक होती है।
सल्फर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 10[Ne] 3s2 3p4 होता है , यह एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर अर्धपूरित विन्यास ग्रहण करके अधिक स्थायी होना चाहता है अत: यह आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग देता है अत: आयनन एन्थैल्पी का मान भी कम होता है।
प्रश्न 3 : प्रत्येक आवर्त में अक्रिय गैसों की आयनन एन्थैल्पी सबसे अधिक होती है क्योंकि ?
उत्तर : अक्रिय गैसों का अधिक स्थायी विन्यास होने के कारण इनमें से इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अत: प्रत्येक आवर्त में अक्रिय गैसों की आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है।
5. परमाणु या आयन पर कुल आवेश : उदासीन परमाणु की तुलना में धनावेशित आयन से इलेक्ट्रॉन बाहर निकलना कठिन होता है क्योंकि धनायन का आकार छोटा होता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक होता है अत: आयनन एन्थैल्पी का बढ़ता क्रम निम्न होता है –
Please mark as brainlist bhot mehant lagi
Answer:
किसी विलगित (आइसोलेटेड) गैसीय अवस्था वाले परमाणु के सबसे शिथिलतः बद्ध (लूजली बाउण्ड) इलेक्ट्रान को परमाणु से अलग करने के लिये आवश्यक ऊर्जा, आयनन ऊर्जा ( ionization energy (IE)) या 'आयनन विभव' या 'आयनन एन्थैल्पी' कहलाती है। ... आययन ऊर्जा को इलेक्ट्रान वोल्ट (eV) में, या 'जूल प्रति मोल' में व्यक्त किया जाता है।
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