अब चले भाव वाच्य में बदलिए
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अब चले भाव वाच्य में बदलिए।
अब चलें।
भाववाच्य : अब चला जाये।
व्याख्या :
भाववाच्य में भाव की प्रधानता होती है।
वाच्यों के तीन भेद होते हैं
- कर्तृवाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
‘कर्तवाच्य’: किसी वाक्य में वाच्य का वह रूप जिसमें जिसमें लिंग एवं वचन कर्ता के अनुसार होते हैं उन्हें ‘कर्तवाच्य’ कहते हैं।
‘कर्मवाच्य’: वाच्य का वह रूप जिसमें लिंग एवं वचन कर्ता के ना अनुसार ना होकर कर्म के अनुसार हो उन्हें ‘कर्मवाच्य’ कहते हैं।
‘भाववाच्य’ में भावों की प्रधानता होती है और इसमें ना तो कर्ता की प्रधानता होती है, और ना ही कर्म बल्क अकर्मक क्रिया का प्रयोग होकर भाव ही प्रधान होता है।
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