अब एकदा तीसरात अगरछन अबधान का सय व गार यकदिन मात्र विध्यामा एतत अल्वा मुमः अवदत मिरज युवाध्या धीमानी वार्ता गुरवा ? TO पृल्ड मात्र मात्र, पान चित्या अन्यायाति कुकूल जलाया अचिन्तयत र युखितारोटरे वृक्षस्य आदाय, समीपे वसीयत व , atú 4
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कहत कत परदेशी की बात.
मंदिर अर्ध अवधि हरि बदी गयो हरि आहार चली जात.
अजया भख अनुसारत नाही कैसे के रैन सिरात.
शशि रिपु बरस भानु रिपु जुग सम हर रिपु कीन्हो घात.
मघ पंचक लेई गयो सांवरो ताते जी अकुलात.
नखत वेद ग्रह जोरी अर्ध करी सोई बनत अब खात.
सूर दास वश भई विरह के कर मीजे पछितात.
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