Hindi, asked by rushi6172, 1 month ago

अब हृदय से रक्त की धारा बहेगी तो मैं कैसे रोक सकूँगी। मेरे लाल ! मेरे चन्दन ! जाओ वह रक्तधारा अपनी मातृभूमि पर
चढ़ा दो। आज मैंने भी दीपदान किया है ! दीपदान ! अपने जीवन का दीपदान मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है। ऐसा
दीपदान भी किसी ने किया है ! एक बार तुम्हारा मुख देख लूँ । कैसा सुन्दर और भोला मुख है !

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Answered by gyaneshwarsingh882
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Explanation:

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 दीपदान

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.

‘चित्तौड़ का राजकुमार पत्तले ओढ़कर सोएगा, कौन जानता था।’ वह राजकुमार कौन है ?

(क) कीरत

(ख) उदयसिंह

(ग) बनवीर

(घ) चन्दन

उत्तर:

(ख) उदयसिंह।

प्रश्न 2.

‘मेरे लिए दीपदान देखने की बात नहीं है, करने की बात है।’ पंक्ति में दीप से आशय है

(क) दीपक

(ख) बनवीर

(ग) चन्दन

(घ) उदयसिंह

उत्तर:

(ग) चन्दन

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.

महाराणा साँगा के सबसे छोटे पुत्र का क्या नाम था? लिखिए।

उत्तर:

महाराणा साँगा के सबसे छोटे पुत्र का नाम उदयसिंह था।

प्रश्न 4.

“तुम तो चित्तौड़ के सूरज हो’ इस वाक्य में किसने, किसको चित्तौड़ का सूरज’ कहा है? लिखिए।

उत्तर:

इस वाक्य में पन्ना ने उदयसिंह को चित्तौड़ का सूरज कहा है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 5.

“चित्तौड़ राग-रंग की भूमि नहीं है, यहाँ आग की लपटें नाचती हैं,” पंक्ति का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

सोना राग-रंग में मस्त होकर पन्ना पर व्यंग्य करती है। उसे अरावली पर्वत की तरह राग-रंग की धारा के बहने में बाधा बनी हुई बताती है। पन्ना उस पर पलटवार करती हुई कहती है कि यह चित्तौड़ वीरभूमि है, यहाँ शूरवीर रणभूमि में प्रलय का नृत्य करते हैं। यहाँ विलासियों और षड्यंत्रकारियों के कपट भरे उत्सव नहीं होते। उसके जैसी यौवन में मतवाली छोकरियों के नाच-कूद नहीं होते। यहाँ वीरता की आग दहकती है।

प्रश्न 6.

‘दीपदान’ एकांकी के नामकरण की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

उत्तर:

नदियों, तालाबों तथा कुण्डों आदि में जलते दीपकों को तैराना दीपदान कहा जाता है। इस एकांकी में दीपदान दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। आरम्भ में मयूर पक्ष कुण्ड में दीपदान का उत्सव मनाया जा रहा है और अंत में पन्ना के कुलदीपक चंदन का राजवंश की रक्षा के लिए माता पन्ना द्वारा ही दान कर दिया जाता है। क्रूर बनवीर भी उदयसिंह के धोखे में चंदन की हत्या को यमराज को किया गया दीपदान ही कहता है। इस प्रकार एकांकी की सारी कथा ‘दीपदान’ को केन्द्र में रखकर ही बुनी गई है। अतः एकांकी का ‘दीपदान’ नामकरण सर्वथा उचित प्रतीत होता है।

Answered by 1aman58
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Answer:

dr ramkumar varma beepbaan

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